
चित्रकूट. किसी भी अपराध और अपराधी के खात्मे उसे जड़ से उखाड़ने में खाकी की बैसाखी होते हैं। मुखबिर जिनकी सूचनाओं पर ही पुलिस अपने किसी भी ऑपरेशन को अंजाम देती है। मुखबिरों की बदौलत ही बड़े बड़े माफिया क्रिमिनल और सुपारी किलर कानून के शिकंजे में फंसते हैं। मुखबिरों की बदौलत ही खाकी को उन शैतानों का सुराग मिलता है जिनकी परछाई भी उसके राडार से बाहर होती है। बात यदि बुन्देलखण्ड के पाठा के बीहड़ों कि की जाए तो दशकों से खौफ का साम्राज्य कर चुके खूंखार डकैतों के खात्में में मुखबिरों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। कुख्यात ददुआ ठोकिया रागिया बलखड़िया को इन्ही मुखबिरों की सटीक सूचनाओं की बदौलत एसटीएफ ने ट्रेस करते हुए अपने दस्यु उन्मूलन ऑपरेशन को अंजाम दिया। इसके इतर मुखबिरों के लिए हमेशा आगे कुंआ पीछे खाई वाली स्थिति बनी रहती है और खासतौर से यूपी पुलिस के मुखबिरों को तो इन्ही खतरों के बीच जीना पड़ता है क्योंकि महान यूपी पुलिस न जाने कब अपने ही मुखबिर को अपराधी घोषित करते हुए ठिकाने लगा दे या सलाखों के पीछे पहुंचा दे। कुछ ऐसा ही हुआ चित्रकूट में जहां खाकी के मुखबिर को उन शैतानों की मदद के आरोप में धर दबोचा गया जिन शैतानों के खिलाफ खाकी की मदद करने के इनाम के तहत उसे खुद खाकी के लम्बरदार ने प्रशंसा पत्र दिया। अब मुखबिर की पत्नी ग्रामीणों परिजनों के साथ साहब की चौखट पर सर्टिफिकेट लिए मदद की गुहार लगा रही है।
पाठा के बीहड़ों में दहशत का पर्याय बने साढ़े पांच लाख के इनामी खूंखार डकैत बबुली कोल की परछाई भी अभी तक पुलिस नहीं पकड़ पाई है और पिछले एक वर्ष के अंदर गैंग से कई मुठभेड़ भी हो चुकी है जिसमें पुलिस व् गैंग दोनों को बारी बारी से नुकसान उठाना पड़ा। एक मुठभेड़ में खाकी का जाबांज एसआई शहीद हुआ तो अन्य मुठभेड़ों में बबुली गैंग के कई हार्डकोर मेंबर भी सलाखों के पीछे गए और एक डकैत मारा गया। इन सारे ऑपरेशन में बीहड़ों में खाकी के लिए सूचनाओं का आदान प्रदान करने वाले मुखबिरों की काफी महत्वपूर्ण भूमिका रही। बावजूद इसके खुद पुलिस से उचित सहयोग व् इनाम न मिलने पर मुखबिरों का जाल टूटता जा रहा है और उस पर से तुर्रा यह कि पुलिस भी अपने ही मुखबिरों को सलाखों के पीछे पहुंचा रही है।
डकैतों के खिलाफ किया था खाकी का सहयोग मिला ये इनाम
जंगलों बीहड़ों में बबुली की लोकेशन ट्रेस करने के लिए खाक छान रही खाकी को भले ही डाकुओं के कदमों के निशान तक न मिले हों लेकिन उनकी मदद करने के आरोप में अपने ही मुखबिर को जरूर लपेटे में ले लिया। मानिकपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत निही गांव के निवासी मधुसूदन को दस्यु बबुली कोल की मदद करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस के मुताबिक गैंग को दैनिक उपयोग की वस्तुएं पहुंचाने के दौरान मधुसूदन को जंगल से दबोचा गया। वो डाकुओं का मददगार था। निही गांव अतिसंवेदनशील दस्यु प्रभावित इलाकों में गिना जाता है और हमेशा से डकैतों का प्रमुख ठिकाना रहा है इस इलाके का जंगल सो पुलिस ने भी ऐसे इलाकों में अपने मुखबिर तैयार किए। लेकिन अपने ही मुखबिर को पकड़कर जेल भेजने के बाद अब चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।
पत्नी ने खाकी के लम्बरदारों से लगाई गुहार
इस बीच मुख्यालय स्थित पुलिस अधीक्षक कार्यालय में एक महिला हांथों में एक प्रशस्ति पत्र पत्र लिए ग्रामीणों व् परिजनों के साथ धरने पर बैठी थी। जानकारी लेने पर जब उस पत्र को लोगों ने देखा तो उनके होश उड़ गए। दरअसल यह उसी पुलिस मुखबिर मधुसूदन की पत्नी थी जिसे दो दिन पहले पुलिस ने डाकुओं की मदद करने के आरोप में सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। मधुसूदन की पत्नी रेखा ने बताया कि उनके पति ने जान का खतरा मोल लेते हुए डकैतों के खिलाफ पुलिस का सहयोग किया और जिसके बदले में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक प्रताप गोपेंद्र की ओर से एक प्रशस्ति पत्र भी दिया गया जिसमें दस्यु उन्मूलन अभियान में पुलिस ने उनके पति के सहयोग की सराहना करते हुए उन्हें अपना सहयोगी बताया बावजूद इसके आज पुलिस ही उनके पति को डकैतों की मददगार बता रही है। पत्नी के मुताबिक उनके पति को जबरदस्ती अब फंसाया जा रहा है। उन्हें न्याय चाहिए।
यह बोले एसपी
उधर इस पूरे मामले को लेकर वर्तमान एसपी मनोज कुमार झा ने कहा कि गैंग की मदद के आरोप में मधुसूदन को पकड़ा गया है। डकैतों के खिलाफ अभियान तेज होगा। पुलिस का मुखबिर होने की जानकारी उन्हें फ़िलहाल नहीं है।
Published on:
03 Apr 2018 12:09 pm
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