
दहशत के अंधेरे में तालीम की रोशनी फैला रही पुलिस, ताकि फिर कोई न बने डकैत
चित्रकूट. मिनी चंबल घाटी के नाम से चर्चित बुंदेलखंड में पाठा के जंगलों (मानिकपुर व मारकुंडी थाना क्षेत्र) में खाकी (UP police ) ने एक अनोखी पहल 'पाठा की पाठशाला' (Patha ki Pathshala) शुरू की है, ताकि भविष्य में बीहड़ों से फिर कोई डकैत बनकर न उभरे। पुलिस की इस मुहिम का लोगों पर, खासकर कोल आदिवासियों पर इसका सकारात्मक असर भी देखने को मिल रहा है। यही कारण है कि अब पाठा के जंगलों में बन्दूकों की 'धांय-धांय' नहीं, बल्कि 'क' से 'कबूतर' और 'ख' से खरगोश की आवाज गूंज रही है। चित्रकूट के पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार झा का मानना है कि शिक्षा के उजाले से ही क्षेत्र में लंबे समय से व्याप्त दस्यु समस्या का हल निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि बच्चे जब शिक्षित होंगे तो खुद-ब-खुद विकास की तस्वीर लिखेंगे।
डकैतों की पनाहगाह रहे पाठा क्षेत्र में पुलिस ने एक अनोखी पहल करते हुए तालीम की रोशनी फैलाने का जिम्मा उठा रखा है। 'पाठा की पाठशाला' मुहिम के तहत पुलिसवा बीहड़ों में बसे दस्यु प्रभावित इलाकों में शिक्षा की अलख जगा रही है। इनमें मानिकपुर, मारकुंडी, डोडामाफी, जमुनिहाई, निही चिरैया, औदरपुरवा, अमरपुर, कोटा कडेंला, गढ़चपा, बड़ाहर, ऊंचाडीह जैसे डकैतों से प्रभावित कई अति संवेदनशील इलाके शामिल है। पाठा के इन इलाकों में कोल आदिवासी बहुतायत संख्या में हैं, जिन्हें हमेशा कुख्यात डकैतों ने इस्तेमाल किया है, इसलिए खाकी का इन क्षेत्रों में विशेष ध्यान दे रही है।
खुद बच्चों के बीच जाते हैं पुलिस के अफसर
पाठा की पाठशाला की इस मुहिम में डीएम व पुलिस के आला अधिकारियों से लेकर थाना स्तर तक के पुलिसकर्मी खासी भूमिका निभा रहे हैं। जिलाधिकारी (डीएम) शेषमणि पांडेय एसपी मनोज कुमार झा व अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) बलवंत चौधरी खुद बच्चों के बीच जाकर उन्हें शिक्षा के महत्व के बारे में बताते हुए उन्हें स्कूल जाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। मुहिम के तहत बच्चों को शिक्षण सामग्री भी वितरित की जाती है।
दिखने लगा सकारात्मक असर
पुलिस (UP Police) की इस मुहिम का सकारात्मक असर भी क्षेत्र में दिखने लगा है। बीहड़ के जिन इलाकों में डकैतों के डर से बच्चे स्कूल जाने से कतराते थे, आज वहां बस्ता लेकर बच्चे जाते दिखते हैं। इस अभियान के तहत पुलिस 800 से अधिक बच्चों को स्कूल के मुहाने तक पहुंचाने में कामयाब हुई है। अब तक जिन कोल आदिवासियों के बीच डकैतों के साथ-साथ पुलिस को लेकर भी दहशत व अविश्वास का माहौल था, उनके बीच पुलिस काफी हद तक अपनी नई पहचान बनाने में सफल रही है।
एसपी का बयान
पाठा को डकैतों से मुक्त करने का अभियान (Patha ki Pathshala) तो जारी है ही, शिक्षा के प्रति कोल आदिवासियों को जागरूक भी किया जा रहा है, ताकि भविष्य में कोल आदिवासी युवा जुर्म के रास्ते पर न चलें।- मनोज कुमार झा, एसपी चित्रकूट
Updated on:
08 Jul 2019 02:59 pm
Published on:
08 Jul 2019 01:21 pm
बड़ी खबरें
View Allचित्रकूट
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
