होनी को कोई टाल नहीं सकता लेकिन यदि उचित समय पर होनी को टालने का उपाय मिल जाए तो काफी हद तक उसे टालने का प्रयास किया जा सकता है, परंतु देश में जितने भी जनता के सरोकारों से जुड़े विभाग हैं उन्हें इस बात में शायद कोई तथ्य नजर नहीं आता और तभी तो इन विभागों की लापरवाही होनी को और प्रबल कर देती है।
नहीं पहुंची एम्बुलेंस
व्यवस्था की अव्यवस्था और उदासीनता की भेंट फिर एक बार एक प्रसूता चढ़ गई, ऊपर वाले का शुक्र था कि प्रसूता के नवजात को उसने इस दुनिया में सांस लेने के लिए भेज दिया। दरअसल घटना चित्रकूट के शिवरामपुर चौकी क्षेत्र की है। चौकी क्षेत्र के निवासी रामचंद्र ने जानकारी देते हुए बताया कि उसकी पत्नी रानी (25) गर्भवती थी और उसका प्रसव होना था। दर्द बढ़ने पर परिजनों द्वारा रानी को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शिवरामपुर ले जाने के लिए 102 एम्बुलेंस को फोन किया गया। पति के मुताबिक फोन के कई घण्टे बाद भी एम्बुलेंस नहीं आई और इस दौरान पत्नी की हालत बिगड़ती गई।
प्रसूता की मौत
पति के मुताबिक एम्बुलेंस न पहुंचने और हालत बिगड़ने पर पत्नी को प्राइवेट वाहन से ले जाने की व्यवस्था की गई। अस्पताल ले जाते समय प्रसूता ने नवजात को जन्म दिया जबकि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचने पर चिकित्सकों ने प्रसूता को मृत घोषित कर दिया और नवजात पूरी तरह स्वस्थ्य बताया गया। प्रसूता की मौत पर परिजनों व् ग्रामीणों ने आक्रोशित होकर हंगामें का प्रयास किया लेकिन मौके पर पहुंची पुलिस ने किसी तरह उन्हें समझा बुझाकर शांत कराया।
जांच के बाद होगी कार्रवाई
उधर घटना की सूचना पर मौके पर पहुंचे सीएमओ रामजी पाण्डेय ने जानकारी लेते हुए मामले की तस्दीक की। सीएमओ ने बताया कि एम्बुलेंस प्रभारी से जानकारी ली गई जिसपर बताया गया कि फोन करने के आधे घण्टे बाद ही एम्बुलेंस पहुंच गई थी। सीएमओ के मुताबिक जांच की जा रही है यदि कोई दोषी पाया गया तो कार्रवाई की जाएगी।
जननी सुरक्षा योजना की हकीकत ऐसी ही घटनाओं से पता चलती है। आरोप प्रत्यारोप और जांच की भट्टी में सब कुछ पिघल जाता है। स्वास्थ्य विभाग ने कभी अपने गिरेबां में झांकने की हिमाकत नहीं की और परिणामतः ऐसी घटनाएं अब ग्रामीण व कस्बाई इलाकों की प्रसूताओं के लिए एक नियति बनती जा रही हैं।