
बेगूं में अनाज के दानों से फसलों की भविष्यवाणी, पत्रिका फोटो
राजस्थान में चित्तौड़गढ़ जिले के एक गांव में हर साल गुरु पूर्णिमा पर अनाज के दानों से आगामी फसलों के आकलन की अनुठी परंपरा का निर्वहन आज भी हो रहा है। जांच में 11 प्रकार के अनाज के दाने और काली व पीली मिट्टी को तोला जाता है। बेगूं में सैकड़ों वर्ष पुराने भगवान लक्ष्मीनाथ मंदिर में गुरु पूर्णिमा पर अनाजों के दानों और मिट्टी के तोल के माध्यम से आने वाले समय और फसलों का आकलन करने की अनूठी परंपरा का निर्वहन किया गया।
इस वर्ष की भविष्यवाणी के अनुसार, ज्वार, उड़द, पीली सरसों, मूंगफली, जौ, मक्का, मूंग और गेहूं की फसल अच्छी होने का अनुमान है, जबकि चना और तिल्ली की फसल में नुकसान की आशंका जताई गई है।यह परंपरा हर साल गुरु पूर्णिमा पर निभाई जाती है। मंदिर के पुजारियों और भक्तों की ओर से 11 प्रकार के अनाज के दाने और काली व पीली मिट्टी को तोला जाता है।
इन्हें एक कागज की पुड़िया में रखकर भगवान लक्ष्मीनाथ की मूर्ति के सामने एक बक्से में बंद कर दिया जाता है और मंदिर में ताला लगा दिया जाता है। अगले दिन सुबह, भक्तों की उपस्थिति में, फिर से सभी अनाज के दानों और मिट्टी का तोल किया जाता है।
परंपरा में काली मिट्टी को जन-धन और पीली मिट्टी को पशु-धन का प्रतीक माना जाता है। यदि काली मिट्टी का वजन बढ़ता है, तो यह जन-धन में वृद्धि और जनता पर संकट न आने का संकेत होता है। इसी प्रकार, जिस अनाज के दाने का वजन बढ़ता है, उसकी फसल अच्छी होने का अनुमान लगाया जाता है, जबकि वजन घटने वाले अनाज की फसल में नुकसान की आशंका व्यक्त की जाती है।
शुक्रवार सुबह हुए अनाज के दानों के तोल में ज्वार, उड़द, पीली सरसों, मूंगफली, जौ, मक्का, मूंग और गेहूं का वजन बढ़ा हुआ मिला, जो इन फसलों के लिए शुभ संकेत है। वहीं, चना और तिल्ली का वजन कम हुआ, जिससे इनकी फसल में नुकसान की संभावना व्यक्त की गई। इस अवसर पर भगवान लक्ष्मीनाथ सेठ मंदिर में विशेष पूजा-आरती और प्रसाद वितरण किया गया। अनाज के दानों के वजन की कमी और बढ़ोतरी की सूची आमजन के लिए जारी की गई, ताकि किसान और आम लोग आने वाले समय के लिए तैयारी कर सकें। इस धार्मिक और पारंपरिक आयोजन में ओमप्रकाश छीपा, मदन लाल शर्मा, बालकिशन पाराशर, कालू, राजेश सहित कई श्रद्धालु उपस्थित रहे।
Published on:
12 Jul 2025 12:00 pm
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