
दस साल बाद आचार्य महाश्रमण मेवाड़ आए, निम्बाहेड़ा में श्रद्धालुओं ने किया अभिनंदन
निम्बाहेड़ा . तेरापंथ जैन धर्म संघ के आचार्य महाश्रमण ने दस साल बाद ससंघ और अंहिसा यात्रा के साथ शुक्रवार सुबह मध्य प्रदेश से चित्तौड़गढ़ के निम्बाहेड़ा के रास्ते मेवाड़ और राजस्थान की धरा पर प्रवेश किया। वे इस साल भीलवाड़ा में पहली बार चातुर्मास करेंगे। निम्बाहेड़ा से चित्तौड़गढ़ होते हुए वे १७ जुलाई को भीलवाड़ा आएंगे। यहां समाज की ओर से बसाए गए तेरापंथ नगर में उनका चार्तुमास होगा। इससे पूर्व आचार्य बनने के बाद मेवाड़ में उनका पहला चातुर्मास वर्ष २०११ में राजसमन्द जिले के केलवा हुआ था।
चूृरू के सरदारशहर में जन्मे धर्मसंघ के ११ वे आचार्य महाश्रमण के दर्शन के लिए राजस्थान की सीमा पर सैकड़ों लोग शुक्रवार तड़के पहुंच गए। सुबह ठीक सवा सात बजे आचार्य और ससंघ के राजस्थान की सीमा में कदम रखते ही उनके जयकारे गूंजने लगे। आचार्य के साथ चल रहे वाहन पर 'केसरिया बालम आवो नी पधारो म्हारे देश रे...गीत से गूंज उठा। दर्शन के लिए आए लोग ध्वज लेकर नाचने लगे। मध्य प्रदेश के नयागांव से आ रहे आचार्य महाश्रमण ने धवल सेना के साथ राजस्थान की सीमा निम्बाहेड़ा में प्रवेश किया। यहां पर राज्य सरकार की तरफ से सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना, चित्तौडग़ढ़ सांसद सीपी जोशी, विधायक रामलाल जाट, भाजपा नेता श्रीचंद कृपलानी, अशोक नवलखा, निम्बाहेड़ा नगरपालिका चेयरमैन सुभाष शारदा समेत प्रशासनिक और पुलिस के अधिकारियों ने उनका स्वागत किया। निम्बाहेड़ा में मंगल प्रवेश पर विभिन्न सामाजिक धार्मिक संगठनों और वर्ग-समुदाय के प्रतिनिधियों तथा श्रद्धालुओं ने पूरे मार्ग में कतार बद्ध खड़े होकर आचार्य का अभिनंदन और दर्शन किए। राज्य सरकार ने आचार्य महाश्रमण को राजकीय अतिथि का दर्जा दिया है। इस कारण उनकी यात्रा की सुरक्षा और व्यवस्था में पुलिस ने पुख्ता प्रबंध कर रखे थे।
१३ किलोमीटर की यात्रा
मध्यप्रदेश के नयागांव से लगभग 1३ किलोमीटर विहार कर आचार्य महाश्रमण चित्तौड़गढ़ के निम्बाहेड़ा स्थित यदुपति सिंघानिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में प्रवेश किया। यहां बच्चों, महिलाओं व पुरुषों ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। निम्बाहेड़ा कस्बे में उनके स्वागत में जगह-जगह रंगोली और द्वार बनाए गए थे। बड़ी संख्या में महिलाओं ने सड़क के दोनों और खड़े होकर आचार्य के दर्शन किए। कई महिला संगठनों ने मंगल कलश लेकर बैण्ड बाजों के साथ स्वागत किया।
कई शहरों से आए श्रावक
निम्बाहेड़ा में तेरापंथ जैन समाज के मात्र पांच परिवार बताए गए, लेकिन आचार्य के स्वागत के लिए यहां पूरे जिले से लोग उमड़ पड़े। इनके अलावा भीलवाड़ा, उदयपुर, राजसमन्द, मध्यप्रदेश, अहमदाबाद, बेंगलूरू, चैन्नई, मुम्बई समेत कई शहरों से से श्रावक-श्राविकाएं आचार्य की अगवानी के पहुंचे।
मनुष्य को प्रमाद नहीं करना चाहिए
निम्बाहेड़ा में वर्चुअल प्रवचन में आचार्य महाश्रमण ने कहा कि मनुष्य जीवन नित है, लेकिन जीवन अस्थाई है। जैसे वृक्ष का पत्ता पीला पड़ जाता है और समय आने पर वह गिर जाता है। उसी प्रकार मनुष्य का जीवन भी पत्ते के समान है। वह भी एक दिन समाप्त हो जाएगा। जीवन में चेतना जागृत करना जरूरी है, क्योंकि आत्मा आगे भी रहने वाली है, इसलिए प्रमाद मत करों। धर्म का संचय करों। उन्होंने बताया कि अंहिसा यात्रा में तीन बातें बताई जा रही है। सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति। नशे में जाकर प्रमाद मत करों। ईमानदारी का भाव रहे तो मुनष्य का जीवन सही रहेगा।
तेरापंथ की जन्म स्थली मेवाड़
आचार्य ने कहा कि भीलवाड़ा व मेवाड़ में कई साधु व साध्वी विराजमान है। उनसे वर्षो बाद मिलने का मौका मिलेगा। सभी एक जगह होंगे। संतों का महासंगम होगा। उनके राजस्थान में दो चातुर्मास होंगे। २०२१ में भीलवाड़ा तथा २०२२ में छापर में होगा। मर्यादा महोत्सव भी २०२२ व २३ में होगा। तेरापंथ की जन्म स्थली मेवाड़ है।
राजस्थान के लिए गौरव की बात
इस अवसर पर साध्वी प्रमुख कनक प्रभा ने कहा कि लम्बी यात्रा के बाद आचार्य राजस्थान आए है। राजस्थान की धरती उनके दर्शनों की प्यासी है। आचार्य राजस्थान के है। यह राजस्थान के लोगों के लिए गौरव की बात है। कार्यक्रम में जनप्रतिनिधियों के अलावा वर्धमान स्थानकवासी संघ के मंत्री आनंद सालेचा, खतरगच्छ संघ के सुरेंद्र चौधरी, त्रिस्तुतिक संघ के शेरासिंह पारख, सुनील ढीलीवाल, तपागच्छ के अभय गारोली, दिगंबर जैन समाज के मनोज सोनी, वंडर सीमेंट के कामर्शियल हेड नितिन जैन, व्यापार संघ के शांतिलाल मारु, संयोजक बाबूलाल सिंघी, भीलवाड़ा चातुर्मास व्यवस्था समिति अध्यक्ष प्रकाश सुतरिया ने भी विचार रखे।
आचार्य महाश्रमण की दिनचर्या
आचार्य महाश्रमण अहिंसा के लिए अब तक देश और विदेश में ५१ हजार किलोमीटर से अधिक की पदयात्रा कर चुके है। यदि आंकड़ों का अध्ययन किया जाए तो यह पदयात्रा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की दांडी यात्रा से 125 गुना ज्यादा लम्बी है। यदि कोई व्यक्ति इतनी लम्बी पदयात्रा करे तो वह भारत के उत्तरी छोर से दक्षिणी छोर अथवा पूर्वी छोर से पश्चिमी छोर तक की 15 बार से ज्यादा यात्रा कर सकता है। आचार्य अपनी पदयात्रा के दौरान प्रतिदिन 15 से 20 किलोमीटर का सफर तय कर लेते हैं।
हर रोज लिखते हैं आत्मकथा
आचार्य महाश्रमण सुबह 4 बजे से जप और ध्यान शुरू कर देते हैं। सूर्योदय से पहले प्रतिक्रमण करते हैं। सूर्योदय के बाद वे विहार करते हैं। यात्रा का विश्राम होने पर उनके प्रवचन होते हैं। शाम को 4 से 7 बजे मौन रखते हैं। इसके बाद रात में आत्मकथा लिखते हैं। वे रात 9 बजे तक विश्राम के लिए चले जाते हैं। यह क्रम पिछले पांच साल से चल रहा है। इस दौरान वे किसी भी गृहस्थ परिवार से नहीं मिलते है। अब तक वे १०० से अधिक पुस्तकों का सम्पादन कर चुके है।
पहले भी आ चुके भीलवाड़ा चित्तौडग़ढ़
आचार्य महाश्रमण का १७ जुलाई को भीलवाड़ा में मंगल प्रवेश होगा। आचार्य महाश्रमण का मेवाड़ में यह दूसरा चातुर्मास होगा। इससे पहले २००४ में केलवा में हुआ था। अब भीलवाड़ा में होगा। भीलवाड़ा जिले में तेरापंच जैन धर्म संघ के २६१ साल के इतिहास में किसी आचार्य का पहला चातुर्मास हो रहा है। इससे पहले आचार्य महाश्रमण ४ दिसम्बर २०११ को चार दिवसीय प्रवास पर भीलवाड़ा आए थे। वे वर्ष २००४ में युवाचार्य के रूप में आचार्य महाप्रज्ञ के साथ तथा १९८४ में आचार्य तुलसी के साथ भी भीलवाड़ा चित्तौडग़ढ़ आ चुके हैं।
पग-पग पर बिछाए पलक पावड़े
पश्चात आचार्य महाश्रमण नगर में मंगल प्रवेश के दौरान पग-पग पर पलक पावड़े बिछा दिए। बांगरेड़ा सीमा से लेकर निम्बाहेड़ा मार्ग स्थित कल्याणपुरा गांव तक मंगल प्रवेश के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों के भक्तों ने आचार्य के दर्शन कर अगुवानी की। निम्बा नदी के पास रेलवे अंडर पास से मंगल प्रवेश जुलूस ने नगर में प्रवेश किया तो नगरवासियों में दर्शन करने के लिए होड़ मच गई। मोती बाबजी, जावद दरवाजा, कासोद दरवाजा, श्रीराम कॉलोनी, इंदिरा कॉलोनी, बस स्टैण्ड, शेखावत सर्कल, श्री राजेन्द्र सुरी ज्ञान मंदिर, विवेकानन्द सर्कल, कल्याण चौक, आरके कॉलोनी होते हुए प्रवास स्थल जेके कैलाश विद्या विहार पहुंचे, जहां पर जेके सुरभि क्लब की महिलाओं ने अगुवानी की। एलआईसी के बाहर नगरपालिका परिवार एवं विभिन्न स्थानों पर जैन समाज की विभिन्न संस्थाओं के साथ ही अन्य सामाजिक संस्थाओं, धार्मिक एवं स्वयंसेवी संस्थाओं ने आचार्य श्री की भव्य अगुवानी की। आरके कॉलोनी मार्ग पर आचार्य तुलसी बहुउद्ेशीय फाउंडेशन के सदस्यों ने धवल सेना का स्वागत किया। मंगल आगमन पर आचार्य श्री को राष्ट्रपिता के अनमोल सन्देश की तस्वीर जलिया चैक पोस्ट पर महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति के संयोजक महेश धूत ने समर्पित कर अभिन्नदन किया। मंगल प्रवेश मार्गों पर जगह जगह स्वागत द्वार लगाए गए एवं सड़कों पर रंग बिरंगी रंगोली सजाई गई। मंगल प्रवेश के दौरान नगर के साधुसंत विहार समिति के आनन्द सालेचा, मनोज चपलोत, मुकेश ढेलावत, आशीष बोडाणा, रत्नेश सेठिया, मुकेश बम, आशीष नागौरी, विमल कोठारी, अनन्त चपलोत, कमलेश दुग्गड, हिमांशु मारू, सुनील ढिलीवाल, यशवंत चपलोत, भैरूसिंह बोडाणा, अतुल बोडाणा व्यवस्थाओं को अंजाम देते हुए चल रहे थे।
Published on:
09 Jul 2021 10:37 pm
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