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Chittorgarh : विश्व विरासत तक पहुंचने की डगर में एएसआई की ‘फांस’ ….पढ़े पूरा मामला

विश्व विरासत में शामिल चित्तौडगढ़़ तक पहुंचने वाले मार्ग कई जगह से क्षतिग्रस्त हो गया है। इसके कारण वाहन चालकों को परेशानी होती है, इसके बावजूद उक्त रोड को बनाने की अनुमति एएसआई नहीं दे रहा है। इसके लिए कई बार पत्र भी लिखे जा चुके हैं।

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चित्तौडग़ढ़ तक जाने वाली क्षतिग्रस्त रोड पर पड़े गड्ढ़े।

चित्तौडगढ़़. विश्व विरासत में शामिल चित्तौडगढ़़ तक जाने वाली सडक़-सडक़ जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो गई है। इसके कारण वाहन चालकों को असुविधा होती है, साथ ही दुर्घटना होने का अंदेशा बना रहता है। इसके बावजूद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग यूआईटी को सडक़ निर्माण की अनुमति नहीं दे रहा है। जिले में स्थित चित्तौड़ दुर्ग विश्व विरासत में शामिल है, वहीं सांवलियाजी मंदिर जन-जन की आस्था का केन्द्र है। इसके कारण दोनों ही स्थानों पर प्रतिदिन हजारों लोग आते हैं। इसमें मुख्य बात यह है कि अधिकांश पर्यटक सांवलियाजी के दर्शन के पश्चात दुर्ग देखने के लिए आते हैं। चित्तौडगढ़़ दुर्ग तक जाने के लिए डामर की सडक़ बनी हुई है। लेकिन सडक़ का रख-रखाव नहीं होने और बारिश के कारण जगह-जगह से रोड क्षतिग्रस्त हो गई है। इसके कारण दुर्घटना होने का अंदेशा बना रहता है। इससे पर्यटकों को आवाजाही में भी असुविधा होती है। इसके बावजूद जिम्मेदार विभाग इस और ध्यान नहीं दे रहा है। उल्लेखनीय है कि दुर्ग पर किसी भी प्रकार के निर्माण अथवा कार्य के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) की अनुमति आवश्यक होती है।

दुर्ग तक यूआईटी बनाती रोड

चित्तौड़ दुर्ग तक जाने वाली पहली पाडऩ पोल तक रोड का निर्माण अथवा उसके रख-रखाव की जिम्मेदारी नगर परिषद की है। यह रोड भी जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो गई है। हालांकि नगर परिषद का दावा है कि पेचवर्क करवाया जा रहा है। दुर्ग तक जाने वाली सडक़ का निर्माण नगर सुधार न्यास की ओर से करवाया जाता है। लेकिन इसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) की अनुमति आवश्यक होती है। उक्त अनुमति के लिए यूआईटी के अनुसार एएसआई को दो-तीन पत्र भी लिख दिए हैं, लेकिन अभी तक अनुमति नहीं मिलने के कारण प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया जा रहा है।

दुर्ग की फैक्ट फाइल

  • 180 मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित दुर्ग
  • 700 एकड़ में फैला है चित्तौड़
  • 07 किमी लम्बा 2.8 किलोमीटर चौड़ा

प्रतिदिन आते दो से तीन हजार पर्यटक

दुर्ग विश्व विरासत में शामिल होने के कारण यहां पर प्रतिदिन 2 से 3 हजार पर्यटक दुर्ग को देखने के लिए आते हैं। इसमें दो पहिया वाहन, चौपहिया, ऑटो सहित कई वाहनों से पर्यटक किले तक पहुंचते हैं। वीकेंड पर इनकी संख्या कई गुना बढ़ जाती है। अगस्त माह में 14 से 16 अगस्त तीन दिनों में 25 हजार से अधिक पर्यटक किले को देखने के लिए पहुंचे थे। रोड क्षतिग्रस्त होने के कारण आवाजाही में परेशानी होती है। पर्यटन विभाग के अनुसार 2022 में 7,96,794 पर्यटक दुर्ग देखने के लिए पहुंचे। इसी प्रकार 2023 में 8,44,920 पर्यटक, 2024 में 8,92,096 और 2025 में जुलाई 3.75 लाख तक पर्यटक आ चुके हैं।

पुरातत्व विभाग को लिखे पत्र, अनुमति मिलने पर करेंगे टेण्डर

किले के प्रथम गेट से ऊपर तक की सडक़ क्षतिग्रस्त हो गई है। सडक़ निर्माण के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से अनुमति मांगी गई है। इसके लिए दो-तीन पत्र भी लिख चुके हैं। अनुमति मिलते ही टेण्डर प्रक्रिया प्रारंभ कर रोड का निर्माण करवाया जाएगा।

  • भूपेन्द्र बंशीवाल, एक्सईएन यूआईटी चित्तौडगढ़़

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