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कोरोना काबू में आया नहीं और अब क्यों मंडराया मलेरिया का खतरा

जिले में कोरोना वायरस पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। वहीं बदले मौसम के साथ ही जिले में दूसरे वायरसों के हमले से निपटने के लिए अभी चिकित्सा विभाग पूरी तरह से तैयार नहीं दिखाई दे रहा है। जिले में अब भी चिकित्सकों एवं नर्सिंगकर्मचारियों के पद रिक्त पड़े हुए है। जिले में कोरोना वायरस के रोगियों को सिलसिला शुरू हुए करीब दो माह होने आए है। रोगियों की संख्या भले ही करीब दौ सौ पहुंची हो लेकिन हर रोज जिले के किसी ना किसी क्षेत्र में कोरोना पॉजिटिव मिलने का दौर जारी है।

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कोरोना काबू में आया नहीं और अब क्यों मंडराया मलेरिया का खतरा

कोरोना काबू में आया नहीं और अब क्यों मंडराया मलेरिया का खतरा

चित्तौडग़ढ़. जिले में कोरोना वायरस पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। वहीं बदले मौसम के साथ ही जिले में दूसरे वायरसों के हमले से निपटने के लिए अभी चिकित्सा विभाग पूरी तरह से तैयार नहीं दिखाई दे रहा है। जिले में अब भी चिकित्सकों एवं नर्सिंगकर्मचारियों के पद रिक्त पड़े हुए है। जिले में कोरोना वायरस के रोगियों को सिलसिला शुरू हुए करीब दो माह होने आए है। रोगियों की संख्या भले ही करीब दौ सौ पहुंची हो लेकिन हर रोज जिले के किसी ना किसी क्षेत्र में कोरोना पॉजिटिव मिलने का दौर जारी है। जिले में करीब डेढ़ दर्जन क्षेत्रों में अब तक कोरोना संक्रमण के रोगी मिल चुके है। ऐसे में चिकित्सा विभाग ने करीब-करीब पूरी टीम कोविड-१९ से निपटने के लिए लगा दी है। ऐसे में अगर जिले में मौसमी बीमारियों का प्रकोप सामने आता है तो चिकित्सा विभाग के पास इतनी टीम भी नहीं है कि वह कोविड-१९ के साथ-साथ इनसे निपट सके।
जिले में भी हाल अच्छे नहीं है
जिले में भी चिकित्सा सेवा के हाल अच्छे नहीं है। जिले के कई स्वास्थ्य केन्द्रों पर तो ताले है वहां उन्हें खोलने वाला कोई स्थाई कर्मचारी ही नहीं है। जिले में वरिष्ठ मेडिसन को एक चिकित्सक एवं सर्जरी के २३ में से २१ पद रिक्त है। वहीं मेडिसिन के २२ में से १९ रिक्त है। नेत्र, ईएनटी, एनेथेटिक आदि चिकित्सकों के पद रिक्त है। ब्लॉक सीएमएचओं के सृजित ११ पदों में से ७ पद अब भी खाली पड़े हुए है।
यह है हाल, कैसे हो समाधान
कहने को यह जिला चिकित्सालय है लेकिन यहां पर चिकित्सकों के मामले में स्थिति बहुत ही खराब है। यहां पर चार फीजिशियन के पद है लेकिन एक ही चिकित्सक के भरोसे काम चल रहा है। तीन पद रिक्त चल रहे है। वरिष्ठ विशेषज्ञों के १० पद में से ९ पद रिक्त चल रहे है। वहीं कनिष्ठ विशेषज्ञ के २३ पदों में से ७ पद अभी भी रिक्त है। इसी प्रकार चिकित्सा अधिकारी के ५२ पदों में से ३० पद अभी रिक्त चल रहे है। उपनियंत्रक का एक पद है वह भी लम्बे समय से रिक्त है।
इनका खतरा भी बढ़ा
मौसम में हो रहे बदलाव के साथ ही मौसमी बीमारी मलेरिया, डेगूं, टाइफाइड, स्क्रप टाइफस, वायरल एवं एलर्जी जनित रोगियों की संख्या में बढ़ातरी होगी। इसके अलावा अन्य बीमारियों के रोगी भी अब अस्पतालों में पहुंचेंगे। ऐसे में अस्पतालो का यही हाल रहा तो कोविड -१९ का खतरा भी बढ़ सकता है।
नर्सिंग कर्मचारियों का भी टोटा
सांवलियाजी जिला चिकित्सालय में नर्स द्वितीय ग्रेड के ३० पद रिक्त है। वहीं फार्मासिस्ट के ९, वरिष्ठ लेब टेक्निशियन ६, रेडियोग्राफर २, लेब टेक्निशियन ७, ईसीजी टेक्निशियन के सात पद रिक्त चल रहे है।
बढ़ेंगे मौसमी बीमारियों के रोगी
इन दिनों कोविड-१९ के रोगियों को लेकर पूरी टीम लगी हुई है। आने वाले दिनों में मौसम बदलने के साथ ही मलेरिया, डेगूं, स्क्रप टाइफस आदि रोग का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में आने वाले कुछ दिनों में कोरोना के साथ-साथ इनका भी खतरा बढ़ेगा।
डॉ. अनिश जैन, फिजीशियन जिला चिकित्सालय चित्तौडग़ढ़
पद रिक्त होने से आ रही परेशानी
चिकित्सक एवं नर्सिंग स्टाफ आदि के बड़ी संख्या में पद रिक्त है। ऐसे में संचालन में काफी परेशानी हो रही है। फिर भी व्यवस्था बना रहे है। आने वाले दिनों में मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ेगा। ऐसे में मलेरिया डेगूं एलर्जी सहित जनित रोगियों की संख्या भी बढ़ेगी। कोविड-१९ का भय भी लोगों में व्याप्त है। ऐसे में इन सबसे कम संसाधनों में एक साथ निपटना बड़ी चुनौती होगा। चिकित्सकों एवं अन्य स्टाफ के लिए डिमांड कई बार भिजवा दी है लेकिन अब तक कोई भी नया चिकित्सक नहीं आया है।
डॉ. दिनेश वैष्णव, पीएमओ, जिला सामान्य चिकित्सालय चित्तौडग़ढ़