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चित्तौैड़ जिले के गुलाब की महक देश के गुलकन्द में फैली

locationचित्तौड़गढ़Published: Jan 15, 2019 04:00:17 pm

Submitted by:

Nilesh Kumar Kathed

समय के साथ जिले के विभिन्न क्षेत्रो में गुलाब की खेती की ओर किसानो का रूझान बढ़ा एवं वर्तमान में क्षेत्र के गुलाब से बना गुलकन्द देश के विभिन्न राज्यों में बिक रहा है।

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चित्तौैड़ जिले के गुलाब की महक देश के गुलकन्द में फैली


चित्तौैडग़ढ़. समय के साथ जिले के विभिन्न क्षेत्रो में गुलाब की खेती की ओर किसानो का रूझान बढ़ा एवं वर्तमान में क्षेत्र के गुलाब से बना गुलकन्द देश के विभिन्न राज्यों में बिक रहा है।
डूंगला उपखण्ड क्षेत्र के आलोद, मलुकदास खेड़ी, देवाखेड़ा, चिकारड़ा सहित कई क्षेत्रो में समय के साथ गुलाब व अन्य फुलो की खेती करने वाले किसानो की संख्या बढ़ी है। साल भर चलने वाली इस खेती में उत्पादन फुल की नस्ल एवं पानी की उपलब्धता पर निर्भर करता है। मार्च से मई एवं सितम्बर से नवम्बर के मध्य फुलो की भरपुर पैदावार होती है। कृषको के अनुसार एक बीघा के खेत में अमुमन 12 से 18 किलोग्राम तक गुलाब की पैदावार होती है।
इन गुलाब के फुलो से मुख्य रूप से गुलकन्द बनता है जो पान के साथ अन्य कार्यो में भी काम आता है। इसके अलावा गुलाब जल व अन्य दवाईयों में भी काम आता है। यहां पैदा होने वाले गुलाब को उपयोग में लेने के लिये चिकारड़ा, सांवलियाजी सहित अन्य स्थानो पर मिनी फैक्ट्रियां लगाई गई है जहां गुलकन्द इत्र आदि बनाया जाता है। फुलो की पैदावार ज्यादा होने पर फुल पुष्कर भी बिकने के लिये भेजे जाते है।
भाव से बढ़ा रूझान
वर्तमान में गुलाब के फुल करीब 35 रूपये प्रतिकिलो के हिसाब से बिक रहे है लेकिन कुछ वर्षो पुर्व इसके भाव 55 रूपये प्रति किलो तक थे जिससे किसानो का रूझान इस खेती की ओर बढ़ता गया। मलुकदास खेड़ी निवासी प्रकाश जाट ने बताया कि उनके व भाईयों की कुल 18 बीघा जमीन पर गुलाब की खेती की जा रही है। प्रतिदिन तोडऩे होते है फुल- फुलों की खेती के लिये किसानो को प्रतिदिन समय खपाना पड़ता है। प्रतिदिन प्रात: से फुल तोड़कर शाम तक एकत्र कर बेचा जाता है। शाम को फिर यह फुल फेक्ट्रिी में जाते है जहां डण्ठल तोड़कर साफ कर गुलकन्द बनाया जाता है।
इन्दौर जाता है गुलकन्द
गुलाब के फुल से बनने वाला गुलकन्द व गुलाब जल मुख्य रूप से इन्दौर विभिन्न कम्पनियों में जाता है जहां से उस कम्पनी के ब्राण्ड नाम से पैक होकर देश के विभिन्न राज्यों में बिकने के लिये जाता है।
बढ़े रोजगार के अवसर
मलुकदास खेड़ी निवासी रतन लाल जाट ने बताया कि किसानो का रूझान गुलाब की खेती की ओर बढऩे के बाद फैक्ट्री डालने का विचार मन में आया एवं कम्पनी वालो से बात कर फैक्ट्री डाली गई। इसमें गुलाब की पत्तियां तोडऩे व सफाई करने के लिये लोगो को रोजगार मिल रहा है।

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