भाषणों में करते रहे जीत के दावे, हकीकत में हो गई जमानत जब्त
चित्तौड़गढ़Published: Nov 05, 2018 10:52:57 pm
मतदान से पहले तक सभाओं व सम्पर्क अभियानों में जो प्रत्याशी जीत पाने के दावे कर रहे थे। मतगणना दिवस पर ईवीएम खुली तो हकीकत उजागर हो गए।
भाषणों में करते रहे जीत के दावे, हकीकत में हो गई जमानत जब्त
चित्तौडग़ढ़. मतदान से पहले तक सभाओं व सम्पर्क अभियानों में जो प्रत्याशी जीत पाने के दावे कर रहे थे। मतगणना दिवस पर ईवीएम खुली तो हकीकत उजागर हो गए। ऐसे अधिकतर प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए। जिले में पिछले तीन विधानसभा चुनावों में जमानत जब्त होने से जुड़े तथ्यों का विश्लेषण करने से ये तथ्य उजागर हुआ कि तीनों चुनावों में जिले के पांचों विधानसभा क्षेत्रों में से किसी भी सीट पर प्रथम दो प्रत्याशियों के अलावा कोई अपनी जमानत जब्त होने से नहीं रोक पाया। जिनकी जमानत जब्त हुई उनमें वर्ष २००८ में कपासन विधानसभा सीट से भाजपा की अधिकृत प्रत्याशी अंजना पंवार भी शामिल है। चुनाव में तीसरे स्थान पर रही पंवार की जमानत जब्त होना जिले में भाजपा के किसी प्रत्याशी की जमानत जब्ती का पहला मामला रहा है। इस अपवाद के अलावा पिछले तीन चुनाव में कांग्रेस व भाजपा प्रत्याशियों के अलावा कोई प्रत्याशी अपनी जमानत नहीं बचा पाया। राजनीतिक विकल्प की बात करने वाले सपा, बसपा, भाकपा व माकपा जैसे दलों के प्रत्याशी हो या निर्दलीय प्रत्याशी सभी जमानत बचा पाने में नाकाम साबित हुए। वर्ष २००३ के चुनाव में ३९ में से २९, वर्ष २००८ में ३७ में से २७ एवं वर्ष २०१३ में ४८ में से ३८ प्रत्याशियों की जमानत राशि जब्त हो गई।
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पूर्व विधायक एवं पूर्व कलक्टर की भी जमानत जब्त
जिले में पिछले तीन विधानसभा चुनावों में जिन प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई उनमें पूर्व विधायक व पूर्व जिला कलक्टर तक शामिल रहे है। वर्ष २००३ के विधानसभा चुनाव में कपासन सीट से भाजपा से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़े पूर्व विधायक डॉ. शंकरलाल भाणूदा की जमानत जब्त हो गई थी। वर्ष २००८ के विधानसभा चुनाव में बेगूं सीट से निर्दलीय चुुनाव लड़े पूर्व जिला कलक्टर डॉ. रणजीतसिंह गठाला भी जमानत नहीं बचा पाए। इसी चुनाव में कपासन सीट से बाागी प्रत्याशी पूर्व विधायक अर्जुनलाल जीनगर के दूसरे स्थान पर रहने से १४.५७ प्रतिशत मत पाने के बावजूद भाजपा प्रत्याशी अंजना पंवार की जमानत जब्त हुई। वर्ष २०१३ के विधानसभा चुनाव में बेगूं से कांग्रेस के बागी प्रत्याशी जितेन्द्रसिंह १९ हजार से अधिक मत पाने के बावजूद जमानत नहीं बचा पाए।
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जमानत बचाना राजनीतिक दृष्टि से अहम
राजनीतिक क्षेत्रों में जमानत राशि जब्त होने से बहुत अधिक महत्व जमानत बचाने पर है। जमानत बचाने के लिए कुल गिरे मतों का छठा हिस्सा पाने का प्रावधान होने से ये माना जाता है कि जो प्रत्याशी जमानत बचा रहा है उसका क्षेत्र में जनाधार है। ऐसे में चुनाव लड़ रहे राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों की पहली प्राथमिकता कड़ी टक्कर में भी किसी तरह जमानत बचा लेने पर होता है ताकि उनकी राजनीतिक साख कायम रह सके।
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कितनी होती जमानत राशि
जमानत राशि लोकसभा व विधानसभा चुनाव में अलग-अलग होती है। भारत निर्वाचन आयोग के वर्तमान नियमानुसार विधानसभा चुनाव लडऩे वाले सामाान्य वर्ग के प्रत्याशी को दस हजार रुपए एवं अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के प्रत्याशी को पांच हजार रुपए जमानत राशि के रूप में जमा कराने होते है। लोकसभा चुनाव में ये राशि सामान्य वर्ग के लिए २५ हजार एवं अजा-जजा के लिए १२ हजार ५०० रुपए है।