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कोचिंग संस्थानों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में नहीं आग बुझाने के इंतजाम

चित्तौडग़ढ़ शहर में आवासीय व व्यावसायिक बहु मंजिला इमारतों व ज्यादातर कॉम्पलेक्स में आग की रोकथाम को लेकर कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं है। सूरत और दिल्ली में हुए भयंकर हादसों के बाद भी यहां न तो कॉम्पलेक्स मालिकों और न ही नगर परिषद के जिम्मेदारों ने सबक नहीं लिया है, ऐसे में तंग गलियों में बने कॉम्पलेक्सों में कभी भी कोई बड़ा हादसा होने की आशंकाओं से इनकार नहीं किया जा सकता।

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कोचिंग संस्थानों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में नहीं आग बुझाने के इंतजाम

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चित्तौडगढ़़
राजस्थान पत्रिका ने शहर के तंग बाजार ईनाणी टावर सहित विभिन्न इलाकों में जायजा लिया तो सामने आया कि न तो पुराने भवनों में आग बुझाने के यंत्र है और न ही नव निर्मित किसी कॉम्प्लेक्स निर्माता ने फायर सिस्टम लगाए हैं। जिन्होंने फायर सिस्टम लगाया है उसका भी नवीनीकरण नहीं हुआ है। बहु मंजिला इमारतों के निर्माण की स्वीकृति में भी अग्निशमन संयंत्र होने व उसके नियमित नवीनीकरण की मुख्य शर्त शामिल होती है। शहर में अभी छतों पर रेस्टोरेंट का चलन भी है। साथ ही कोचिंग संस्थान भी संचालित है। इसके बावजूद कोई खास इंतजाम नहीं है। चित्तौडगढ़़ शहर में कई मार्केट है जहां भी आग लगने पर उस पर तत्काल काबू पाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है। कई जगह तो फायर ब्रिगेड भी नहीं पहुंच पाती है।
कुछ जगह दिखावे के यंत्र
शहर के बाजार में जहां जगह बहु मंजिला भवन बने हुए हैं, इनमें से कुछ जगह अग्निशमन संयंत्र लगे हैं पर भवन बनने के बाद एक भी बार नवीनीकरण नहीं हो पाया। इसके चलते जहां कहीं फायर सिस्टम लगा भी है तो वह सक्रिय है या निष्क्रिय हो गया। इसके बारे में किसी को कोई पता नहीं।
आग बुझाने तक सीमित अग्निशमन केन्द्र
नगरपरिषद चित्तौडगढ़़ का अग्निशमन केन्द्र के सहायक अग्निशमन अधिकारी से लेकर तमाम कार्मिकों का कार्य सिर्फ कहीं आग लगने पर उसे बुझाने तक सीमित रह गया है। अग्नि सुरक्षा अधिनियम के तहत अग्निशमन अधिकारी का कार्य प्रत्येक बहु मंजिला भवन, बाजार में अग्निशमन यंत्र है या नहीं। उसकी वर्तमान में क्या स्थिति है आदि की जांच करना और अगर ठीक नहीं है तो संबंधित भवन निर्माता को नोटिस जारी करते हुए कार्रवाई करना है, इसके बावजूद ऐसी कार्रवाई नहीं की गई है।
नियमानुसार बड़े भवनों ये जरूरी
अग्नि सुरक्षा अधिनियम 1987 के तहत प्रत्येक भवन के लिए 12 सुरक्षा मानक तय किए हैं जो आवश्यक है। प्रवेश के साधन, भूमिगत व जल टंकियां, स्वचालित छिड़काव प्रणाली, चर्खी से लिपटा जल पाइप, अधिकृत अग्निशमक यंत्र, अग्नि अलर्ट अलार्म सिस्टम, सार्वजनिक संबोधन व्यवस्था, निकासी मार्ग के संकेतांक, विद्युतापूर्ति के वैकल्पिक स्त्रोत वैट राइजर डाउन कॉमर सिस्टम, फायरमैन स्विच सहित निकास मार्ग आदि सुविधा होना जरूरी है।
रास्ता नहीं खाली करा पाती है पुलिस
फायर सेफ्टी एक्ट के मुताबिक शहरी क्षेत्र में आग की सूचना मिलने के पांच मिनट के भीतर दमकल को घटनास्थल पर पहुंचना होता है, लेकिन शहर की सड़कों पर दौड़ते बेहिसाब वाहनों की वजह से अमूनन बीस मिनट का वक्त लग रहा है। फायर ब्रिगेड की गाड़ी निकलती हैं तो जाम से उलझते हुए उन्हें गुजरना पड़ता है। चौराहों और प्रमुख सड़कों पर खड़ी यातायात पुलिस दमकल को देखकर भी रास्ता खाली नहीं करा पाती है।
यहां है खतरा
शहर में मुख्यत: पुराना शहर, ईनाणी टॉवर, सदर बाजार, ढंूचा बाजार सहित कई जगह आग से बचने के इंतजाम नहीं है। ऐसे में यहां नियमित निरीक्षण के साथ ही व्यवस्थाएं सुधारने की जरुरत है।