
फिल्म 'पद्मावती' को लेकर लोगों का आक्रोश और विरोध दोनों बढ़ता जा रहा है। फिल्म निर्माता और कलाकारों के खिलाफ धरने प्रदर्शन और आंदोलन चल रहे हैं इस वजह से प्रदेश की कानून व्यवस्था पर भी सवाल उठने लगे हैं। आज फिल्म के विरोध में चित्तौड़गढ़ के सर्व समाज ने किला बंद कर दिया। किसी को अंदर नही जाने दिया जा रहा है। सुबह 8 से 6 बजे तक पर्यटक प्रवेश बंद का आह्वान किया गया है। जिसकी वजह से आज किले के स्कूल और चिकित्सा सेवाएं भी बाधित रही। चिकित्साकर्मी व स्कूल टीचर्स ने प्रवेश का प्रयास किया लेकिन दुर्ग बंद कर रहे लोगों ने उन्हें जाने नहीं दिया। इसके साथ ही किले में छोटी मोटी दुकानें लगा कर गुजर-बसर करने वाले लोगों और सब्जी बेचने वाली महिलाओं को भी प्रवेश नहीं दिया गया। इस दौरान दुर्ग में स्थित चिकित्सा संस्थानों और स्कूलों में कार्यक्रम भी प्रवेश नहीं दिया गया। किले को देखने आ रहे लोग भी खासे परेशान हुए।
इस दौरान राष्ट्रीय करणी सेना के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष योगेंद्र सिंह कटार भी पहुंचे। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि "हमने फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली को बातचीत के लिए कई बार पत्र लिखे हैं इसके बावजूद वह बातचीत के लिए नहीं आए। फिल्म देखने का कोई औचित्य नहीं है। अब इस पद्मावती फिल्म को रिलीज करने की बात सपने में भी नहीं सोचे। क्योंकि अब हम सब अपने प्राण न्योछावर कर देंगे, सर काट देंगे और खुद के भी कटवा लेंगे।"
तो वहीं संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' फिल्म के विरोध में पाडनपोल पर सर्व समाज की ओर से चल रहे धरने पर आठवें दिन जयपुर के विद्याधर नगर से विधायक व पूर्वमंत्री नरपत सिंह राजवी पहुंचे। उन्होंने कहा कि "फिल्म के विरोध में तोडफ़ोड़ कर लोगों के कानून तोडऩे से पहले तो ये काम स्वयं निर्माता संजय लीला भंसाली ने सेंसर बोर्ड से फिल्म पास हुए बिना ट्रेलर रिलीज करके किया है। सेंसर बोर्ड की अनुमति के बिना फिल्म का प्रमोशन भी नहीं हो सकता है फिर भी पद्मावती फिल्म के ट्रेलर दिखाए जा रहे है। रूल ऑफ लॉ तो एक पक्ष पर लागू नहीं है। पहले भंसाली ने कानून तोड़ा है। उन्हें जेल में डालना चाहिए। उसके बाद आगे की बात होगी।"
Updated on:
18 Nov 2017 03:00 pm
Published on:
17 Nov 2017 12:29 pm
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