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भीग गया गेहूं, धुल गया अफीम का दूध

चित्तौडग़ढ़ शहर सहित जिले के विभिन्न इलाकों में गुरूवार रात को हुई बारिश ने जहां चीरे लगे डोडों का दूध धो दिया, वहीं तेज हवा के चलते अफीम व गेहूं की फसलें आड़ी पड़ गई। खलिहानों में पड़ी कटी हुई गेहूं, चना व इसबगोल की फसल भीग गई है। गुरूवार को लगातार दूसरी दिन भी हुई बारिश के चलते नुकसान का दायरा बढ गया है। इधर बारिश से फसलों को हुए नुकसान की सूचना बीमा कंपनी को देने को कहा गया है।

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भीग गया गेहूं, धुल गया अफीम का दूध

भीग गया गेहूं, धुल गया अफीम का दूध

चित्तौडग़ढ़
फसल कटाई से पहले भी बेमौसम हुई बारिश से फसलों को नुकसान हुआ था, जिसका सहायक कृषि अधिकारियों व कृषि पर्यवेक्षकों ने सर्वे किया था। अधिकांश जगह अफीम की फसल अंतिम स्तर पर है और किसान डोडों से दूध एकत्रित करने में परिवार सहित खेतों पर डेरे डाले हुए है। चीरे लगे डोडों से निकला दूध पिछले दो दिन में हुई बारिश के पानी के साथ बहने से किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ा है। मौसम में नमी के चलते अब किसानों पर तीन तरफ से मार पड़ रही है। पहली प्रकृति की और दूसरी कोरोना वायरस को लेकर मजदूर और फसल कटाई की मशाीनों की किल्लत और तीसरी मार फफूंद जनित रोग काली मस्सी की है। जिले में पिछले दो दिन से अचानक मौसम में आए बदलाव के बाद हुई बारिश ने अफीम की फसल को गर्त में डाल दिया है। वहीं खलिहानों में रखी गेहूं, चना, इसबगोल की कटी हुई फसल भीग गई है। इसमें सर्वाधिक नुकसान इसबगोल की कटी हुई फसल को होने का अनुमान है।
चित्तौडगढ़़ सहित जिले के भोपालसागर, गंगरार, राशमी, कपासन, केसरखेड़ी, बड़ीसादड़ी, भदेसर, निम्बाहेड़ा, डूंगला, बेगूं, भैंसरोडग़ढ़ इलाकों में बोई गई अफीम की फसल में अधिकांश जगह डोडों में चीरे लगे हुए हैं। किसानों को आस थी कि इस बार अफीम की अच्छी पैदावार होगी, लेकिन दो ही दिन में तेज हवा के साथ हुई बारिश ने चीरे लगे डोडों का दूध धो डाला। कई जगह तो डोडे और पौधे भी धराशायी हो गए।
डोडों के चीरे लगाने के बाद उसमें से दूध जैसा द्रव्य निकलता है, इसे किसान बर्तन में एकत्रित करते हैं। बाद में इसका रंग काला हो जाता है, जो अफीम कहलाता है। बुधवार व गुरूवार को हुई बारिश के पानी से चीरे लगे डोडों का दूध भी बह गया है। जिले में बारिश के चलते मौसम में आई नमी के चलते अब अफीम की फसल में डाउनी मिल्ड्यू यानी काली मस्सी का प्रकोप बढऩे की आशंका है।
एकत्रित नहीं हुआ डोडों का दूध
बारिश होने के कारण गुरूवार व शुक्रवार को जिले में अधिकांश खेतों पर किसान चीरे लगे डोडों से दूध एकत्रित नहीं कर पाए। इससे किसानों को नुकसान हुआ है। किसानों का कहना है कि इससे पैदावार में भारी कमी आने की आशंका है। क्यों कि चीरे लगे डोडों में पानी घुस चुका है और अब उनमें दूध नहीं बन पाएगा। पूरी पैदावार लेने के लिए अमूमन तीन से पांच बार तक डोडों के चीरे लगाए जाते हैं। जिन किसानों ने अफीम की बुवाई विलंब से की है, उन किसानों को और अधिक नुकसान हुआ है, वे अब मौसम को देखते हुए अगला चीरा लगाने में विलंब करेंगे, ऐसे में भी डोडों का दूध सूख जाएगा।
गेहूं और सरसों में भी नुकसान
जिले में तेज हवा के साथ गुरूवार को हुई बारिश से कई जगह गेहूं की फसल भी धराशायी हो गई है। इससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। इसके अलावा जिन किसानों के यहां गेहूं और सरसों की फसल कट चुकी है और इसके खेतों पर ढेर लगे हुए हैं, वहां भी पानी से भीगने के कारण फसलों को नुकसान हुआ है। डूंगला, रावतभाटा, निकुंभ और बड़ीसादड़ी क्षेत्र में जहां इसबगोल की फसल की कटाई के बाद खलिहानों पर रखी हुई है, वहां भी भारी नुकसान हुआ है।
बीमा कंपनी को देनी होगी सूचना
कृषि आयुक्त डॉ. ओमप्रकाश ने जिला कलक्टरों से कहा है कि प्रदेश में बारिश व ओलावृष्टि का दौर होने से अधिसूचित फसलों को नुकसान हुआ है। रबी २०१९-२० प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की जारी अधिसूचना के मुताबिक फसल कटाई के उपरांत १४ दिन तक खेत में सूखाने के लिए रखी हुई कटी हुई अधिसूचित फसल को बारिश, ओलावृष्टि आदि से नुकसान की स्थिति में फसल के नुकसान का आकलन व्यक्तिगत बीमित फसली कृषक के स्तर पर करने का प्रावधान है। बीमित फसली किसान को आपदा के ७२ घंटे के अन्दर संबंधित बीमा कंपनी के टोल फ्री नंबर या लिखित में सात दिवस में बैंक, बीमा एजेन्ट या कृषि विभाग के अधिकारियों को सूचित करना अनिवार्य है। यदि फसल कटाई के समय के पहले अर्थात खड़ी फसल बारिश या ओलावृष्टि से खराब होती है तो व्यक्तिगत आवेदन करने की जरूरत नहीं रहेगी। जिला कलक्टरों से कहा गया है कि वे कृषि अधिकारियों व कर्मचारियों के माध्यम से प्रभावित बीमित किसानों को उनकी फसलों में हुए नुकसान की सूचना बीमा कंपनी को देने के लिए प्रावधानों से अवगत कराएं।