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तीन दिशाओं में जल से टूकड़ा माता का हो रहा चरण वंदन

चित्तौडग़ढ़ जिले में बस्सी क्षेत्र के करीब 442 वर्ष पुराने शक्तिपीठ टुकड़ा माता मंदिर का तीन दिशाओं में जल द्वारा चरण वंदन हो रहा है।

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तीन दिशाओं में जल से टूकड़ा माता का हो रहा चरण वंदन

तीन दिशाओं में जल से टूकड़ा माता का हो रहा चरण वंदन

चित्तौडग़ढ़
चित्तौडग़ढ़ जिले में बस्सी क्षेत्र के करीब 442 वर्ष पुराने शक्तिपीठ टुकड़ा माता मंदिर का तीन दिशाओं में जल द्वारा चरण वंदन हो रहा है।
बस्सी बांध पर स्थित टुकड़ा माता मंदिर के पूर्वए पश्चिम और दक्षिण दिशाओं में बांध के जल द्वारा टुकड़ा माता का मानों चरण वंदन किया जा रहा है। जहां से मंदिर पर जाने का रास्ता है वहां उत्तर दिशा में पानी नहीं है बाकी सभी दिशाओं में मंदिर के चारों तरफ पानी का अद्भूत त्रिवेणी संगम है। बस्सी की स्थापना करने वाले रावत जयमल चुंडावत के वंशज कर्नल रणधीर सिंह ने बताया कि टुकड़ा माता स्थल की स्थापना 1578 के आसपास बस्सी की स्थापना करने वाले रावत जयमल चुंडावत ने की थी। उस दौरान रावत जयमल ने बस्सी की स्थापना से पूर्व पालका ग्राम में टुकड़ागढ़ के नाम से गढ़ का निर्माण किया था। उसी दौरान जो वर्तमान में बांध है वह पूर्व में तालाब हुआ करता था। उसी तालाब के किनारे टुकड़ा माता मंदिर की स्थापना की।
किवदंती है कि टुकड़ा माता स्थल पर रावत जयमल ने खरगोश का शिकार किया और कहा कि यह खरगोश जहां रुकेगा वहीं पर राजमहल और नगर का निर्माण कर निवास शुरू करेंगे। टुकड़ा माता से खरगोश चलता हुआ बस्सी में वर्तमान में स्थित खोडिय़ा बावजी के यहां पर रुका। जहां पर खरगोश रुका वहां पर बस्सी में वर्तमान में खोडिय़ा बावजी का प्रसिद्ध स्थान है। फिर रावत जयमल ने यहीं पर बस्सी के ऊपर पहाड़ पर गढ़ बनाया और नीचे तलहटी में राजमहलए बावडिय़ों का निर्माण कर निवास शुरू किया। टुकड़ा माता का आशीर्वाद लेकर रावत जयमल ने बस्सी की स्थापना की और 1597 के आसपास बस्सी में निवास प्रारंभ किया।
टुकड़ा माता स्थल शुरू से ही तालाब की पाल पर एक देवरे के रूप में था। वर्ष 1983.84 में बस्सी के रावत केसरी सिंह चुंडावत के प्रयासों से यहां पर बांध का निर्माण हुआ। उस दौरान रावत केसरी सिंह चुंडावत ने पाल से ऊपर मंगरी पर मंदिर का निर्माण करवाया। प्राचीन टुकड़ा माता का स्थल होने के कारण जब यहां पर बांध बना तो उसका नामकरण भी टुकड़ा माता बांध हो गया। यह स्थल बस्सी क्षेत्र ही नहीं पूरे जिले का प्रसिद्ध धार्मिक और पर्यटन स्थल है।
टुकड़ा माता मंदिर के पास टुकड़ा माता बांध और बस्सी वन्यजीव अभयारण्य होने के कारण यहां पर साल भर लोगों का आना जाना रहता है। मंदिर के चारों तरफ पानी और हरी उभरी पहाडिय़ां होने के कारण यह स्थल बहुत ही खूबसूरत और नैसर्गिक लगता है। यहां पर दर्शनों के लिए दूर दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। मंदिर परिसर में ही प्राचीन शिवलिंग एवं नंदी की मूर्ति भी विराजमान है। नवरात्र के दौरान यहां पर दूर दूर क्षेत्रों के श्रद्धालु पैदल पहुंचते हैं। नवरात्र के दौरान यहां नौ दिन अखंड ज्योत जलती है। यहां पर विशेष विद्युत सज्जा की जाती है।