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मजदूरी के दलदल में फंसा बचपन, पेट भरने तक सिमटा बचपन

भारत में लगभग 1.02 करोड़ बच्चे बालश्रम के शिकार।

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मधुसूदन शर्मा
चूरू. कुछ की परिस्थितियां खराब होती है कुछ की हमें दिखाई नहीं देती और कुछ की सामने होकर भी हम देखना नहीं चाहते हैं। इसे सामाजिक स्वीकृति का आधार मानकर अपने जीवन का बड़ा हिस्सा मान लेते हैं। कुछ ऐसा ही समाज में छोटे बच्चों के साथ भी हो रहा है। जिनका बचपन छिन गया है। इनकी हमे खास दिन, या किसी बड़ी घटना के समय याद आती है। बाल मजदूरी भी ऐसा मुद्दा है जो दिखाई देते हुए अनदेखा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में 2 करोड़ और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठनों के अनुसार लगभग 5 करोड़ बाल श्रमिक हैं। यूनिसेफ के अनुसार भारत में लगभग 1.02 करोड़ बच्चे बालश्रम के शिकार हैं। चूरू जिले की बात करें तो यहां भी बालश्रम चरम पर है। प्रशासन की नाक के नीचे बाल श्रम खुलेआम हो रहा है लेकिन ऐसे लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। बालश्रम को लेकर स्थानीय पुलिस की कार्रवाई लचर रही है। ऐसे में हंसता खेलता बचपन मजदूरी के दलदल में फंसता ही जा रहा है। पांच साल में केवल ५५ कार्रवाई की गई है। जिसमें ३४ मामले दर्ज किए गए हैं। औसत आंकड़ों पर नजर डालें तो पुलिस ने हर माह एक कार्रवाई की है।
शिक्षा का अधिकार बच्चों की पहुंच से दूर
भारत सरकार की ओर से बनाए गए अधिनियम में बच्चों को शिक्षा का अधिकार अनिवार्य किया गया है। लेकिन प्रदेश में अनेक ऐसी बस्तियां है।
जिनके बच्चे आज भी शिक्षा से वंचित है। सरकारी आंकड़ों को देखें तो यही नहीं शिक्षा विभाग के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जिले में ४२ बच्चे एसे हैं जो स्कूलों से नहीं जुड़े हैं।
समाप्त नहीं हो पाया बालश्रम
भारत में बाल मजदूरी निरोधक कानून 1986 से लागू होने के बावजूद बालश्रम अब तक पूरी तरह समाप्त नहीं हो पाया है। इस कानून की शुरू से ही यह विडंबना रही कि इसमें संगठित क्षेत्र पर तो विशेष ध्यान दिया लेकिन असंगठित क्षेत्र को उसके हाल पर छोड़ दिया गया। वैश्वीकरण और नवउदारवाद में तो इस समस्या को लगभग भुला ही दिया गया है। ऐसे में इस बचपन का भविष्य कैसा होगा। अंदाजा लगा सकते हैं।
क्या है बालश्रम
बाल श्रम भारतीय संविधान के अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से कारखाने, दुकानए रेस्टोरेंट, होटल, कोयला खदान, पटाखे के कारखाने आदि जगहों पर कार्य करवाना बाल श्रम है। बाल श्रम में बच्चों का शोषण भी शामिल होता है। शोषण से आशय बच्चों से ऐसे कार्य करवाना। जिनके लिए वे मानसिक एवं शारीरिक रूप से तैयार न हों।
बाल श्रम के कारण
- आर्थिक कमजोरी
- शिक्षा व जागरुकता का अभाव
- सरकारी स्तर पर सही नियम लागू नहीं करना- कंपनी मालिकों का स्वार्थ
इस प्रकार रही पुलिस कार्रवाई
वर्ष कार्रवाई मामला दर्ज
2014 01 01
2015 01 01
2016 03 01
2017 48 29
2018 02 02
(आंकड़े पुलिस विभाग की ओर से दिए गए)


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