
चूरू। सरदारशहर थाना पुलिस की हिरासत में युवक की मौत व उसकी भाभी से थाने में निर्मम पिटाई और सामूहिक बलात्कार ( Churu Gang Rape Case ) के मामले में आठ दिन बाद पुलिस प्रशासन नींद से जागा। सीआइडी सीबी टीम द्वारा लिए गए महिला के बयान के आधार पर सरदारशहर थाने में तत्कालीन थानाधिकारी रणवीरसिंह सांई सहित पांच-छह अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ शनिवार देर रात 2.52 बजे सामूहिक बलात्कार, मारपीट व एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज ( Gang Rape by Police ) किया गया। पूरे मामले की जांच सीआइडी सीबी जयपुर को सौंपी गई है। सीआइडी सीबी की टीम ने रविवार को पीडि़ता का एसएमएस अस्पताल में मेडिकल बोर्ड से मेडिकल कराया है।
महिला कांस्टेबल की मौजूदगी में सीआइ सहित पांच-छह पुलिसकर्मियों ने किया रेप ( Gang Rape in Police Station )
तीन जुलाई की शाम पांच बजे मेरे पति व बच्चे खेत में गए थे। मैं घर पर अकेली थी। तभी चार-पांच पुलिसवाले निजी गाड़ी से आए और मुझे थाने ले गए और कमरे में बंद कर दिया। वे मेरे देवर को तीन-चार दिन पहले चोरी के आरोप में ले गए थे। कुछ देर बाद कमरे में गीता कांस्टेबल सहित 4-5 पुलिसवाले आए और मुझे एक घंटे तक पट्टों से पीटते रहे। पास के कमरे में देवर से भी मारपीट की। फिर 5-6 पुलिस वाले आकर बैठ गए। गीता की ड्यूटी खत्म हो गई थी। महिला सिपाही रूपा को बुलाया। जबरन मेरे कपड़े उतरवाए और मुझसे गंदा काम करने के लिए कहा। मना किया तो सभी ने बलात्कार किया। वे पांच-छह थे। मैं रणवीरसिंह सीआइ का नाम ही जानती हूं। चार जुलाई को सुबह 10-11 बजे मुझे लाठी से पीटा और प्लास से पैर व हाथ के नाखून निकाल लिए। पिटाई के बाद रूपा ने मुझे खाना खिलाया। फिर सबने देवर की पिटाई की। पूरे दिन ऑफिस में बैठाए रखा।
पुलिसकर्मी गीता ने कहा मत मारो, लेकिन...
पांच जुलाई को सुबह फिर मेरी पिटाई की। वहां रूपा मौजूद थी। मैं पूरे दिन आफिस में बैठी रही और वे मेरे देवर को पीटने लगे। रात को सिपाही गीता के सामने ही मुझे सिपाहियों ने शराब पीकर फिर पीटा। गीता ने छुड़ाया। छह जुलाई को सुबह मेरे सामने मेरे देवर की पिटाई करने लगे। रात को कुछ पुलिसकर्मी गीता के कमरे से रस्सा ले गए। गीता ने कहा कि उसे मत मारो, फांसी मत लगाओ, लेकिन वे नहीं माने। रात को दो-ढाई बजे उसकी मौत ( death in police custody ) हो गई। गीता ने मुझे इस बारे में बताया। अगले दिन मुझे भानीपुरा थाने भेज दिया। भानीपुरा थाने वालों ने मुझे गांव पहुंचाया। मेरे पति ने सरदारशहर अस्पताल में भर्ती कराया। जहां से मुझे चूरू रैफर कर दिया। इस दौरान पुलिसवाले मेरे साथ थे। 10 जुलाई को मुझे और मेरे पति को रात को घर पर छोड़ कर चले गए। 11 जुलाई की रात तबीयत बिगडऩे पर मेरे पति ने मुझे जयपुर एसएमएस अस्पताल में भर्ती करवाया।
एपीओ एसपी का विवादों से नाता
आरपीएस से आइपीएस बने राजेंद्र कुमार विवादों में ही रहे हैं। उपाधीक्षक थे तो फायरिंग के मामले में विवाद में घिरे, बाद में आरोपमुक्त हुए। खराब सर्विस रेकॉर्ड के कारण ही अपने बैच के अफसरों से दो साल बाद आइपीएस बन पाए। पहली फील्ड पोस्टिंग चूरू एसपी के रूप में हुई थी।
Updated on:
15 Jul 2019 12:18 pm
Published on:
15 Jul 2019 10:55 am
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