
आगामी लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों का बीजेपी ने आज 2 मार्च को एलान किया है। घोषित 195 उम्मीदवारों में 15 राजस्थान की लोकसभा सीटों से हैं। बीजेपी ने यहां से आगामी लोकसभा चुनाव के लिए पुराने चेहरों के साथ कुछ नए चेहरे को मौका दिया है। उनमें से एक हैं देवेंद्र झाझड़िया, जिन्हें बीजेपी ने राजस्थान की चूरू लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। झाझड़िया का यहां तक का सफर बेहद ही दिलचस्प रहा है। जब वह केवल 8 वर्ष के थे तो उन्हें बिजली दुर्घटना की वजह से अपना बायां हाथ खोना पड़ा… बावजूद इसके उन्होंने भाला फेंक में विश्व भर में परचम लहराया है। इस अंक में जानिए देवेंद्र झाझड़िया (Devendra Jhajharia) की स्टोरी..
देवेंद्र झाझड़िया जेवलीन थ्रो( भाला फेंक) के स्टार खिलाड़ी हैं। जब वह केवल 10 वर्ष के थे तभी उन्होंने इस खेल में कुछ कर गुजरने का ठाना। उन्होंने यह फैसला ऐसे हालात में लिया जब उनके पास केवल एक हाथ बचे दूसरा दुर्घटने में उन्होंने खो दिया। कहते हैं जब कुछ कर गुजरने का जुनून हो तो रास्ते खुद व खुद बनते चले जाते हैं। देवेंद्र झाझड़िया का सफर भी ऐसा ही रहा। पेड़ की लकड़ियों से भाला बनाकर एकलव्य की भांति अभ्यास शुरू किया। देवेन्द्र रोजाना भाला फेंकने का 5-6 घंटे प्रयास करने लगे।
धीरे-धीरे वह भाला फेंकने में पारंगत हो गए और कक्षा 10 वीं में ही जिलास्तरीय एथलेटिक्स टूर्नामेंट में पहली बार स्वर्ण पदक हासिल किया। और यह सिलसिला साल दर साल आगे बढ़ता रहा। जिले के बाद राज्यस्तर पर कामयाबी पाई, कुछ ही वर्षों में राष्ट्रीयस्तर पर परचम लहराया। जिसके बाद एथेंस पैरा ओलम्पिक में स्वर्ण पदक, इंचियोन दक्षिण कोरिया पैरा एशियन गेम्स में रजत और चीन के ग्वाऊ च्युयानलिंग में कांस्य पदक जीतकर विश्वभर में भारत का नाम रौशन किया।
देवेंद्र झाझड़िया की इस अभूतपूर्व उपलब्धि के लिए भारत सरकार ने उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया है। देवेंद्र को 9 अगस्त 2005 में राष्ट्रपति ए.पी.जे अब्दुल कलाम द्वारा अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया। जिसके बाद 2012 में पद्मश्री अवार्ड और 2017 में उन्हें खेल रत्न पुरस्कार से नवाजा गया। राजस्थान के चूरू जिले से ताल्लुक रखने वाले देवेंद्र झाझड़िया की इस उपलब्धि पर समाज, परिवार को गर्व है। पिता रामसिंह झाझड़िया कहते हैं कि उन्होंने बेटे का संघर्ष देखा है। इस कामायबी तक पहुंचना किसी के लिए भी आसान नहीं होता। शुरुआती दिनों में पर्याप्त सुविधा न होने के बावजूद देवेंद्र के जुनून में कोई कमी नहीं आई। जिसका नजीता रहा कि वह परिवार, समाज, प्रदेश के साथ देश का नाम रौशन किया है। देवेंद्र का जन्म 10 जून, 1981 में गाँव झाझड़िया की ढाणी, तहसील राजगढ़, जिला चूरू राजस्थान में हुआ।
Published on:
02 Mar 2024 08:32 pm
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