
चूरू। चेहरे की झुर्रियां व कांपते हाथ अब उम्र के अंतिम पड़ाव पर हैं। मगर, राम से लगन ऐसी की 85 वर्षीय मैनादेवी उन्हीं की होकर रह गई। राम नाम लिखने की धुन बीते पांच सालों से जारी है। अब तक 57 लाख 72 हजार राम नाम लिख चुकी। पढ़ी लिखी नहीं है, फिर भी राम नाम लिख रही हैं। हैरानी की बात तो ये है कि श्रीमद्भागवत 70 सालों से पढ़ रही हैं।
श्लोक तो ऐसे कंठस्थ कि सुनने वाला दंग रह जाए। शहर के मंत्री मार्ग इलाके में रहने वाली मैनादेवी दर्जी उम्र के आठ से भी अधिक दशक पार कर चुकी हैं। राम नाम लिखे बिना चेन नहीं आता, दिन में नहीं लिख पाती हैं तो रात को जागकर लिखती हैं। मैनादेवी ने बताया कि श्रीमदभागवत बचपन से पढ रही हैं। श्रीकृष्ण के सैंकड़ों भजन उन्हें मुख जुबानी याद हैं।
मुबंई गई तो याद आए राघव
मैनादेवी ने बताया कि पांच साल पहले बेटी के पास मुबंई गई थी। वहां पर राम नाम लिखने की ललक जगी। इसके बाद वापिस चूरू आ गई। बेटे श्रवण से कहा पेन, पौथी व पूजा का सामान लाकर दो राम नाम लिखने हैं। तब से अनवरत राम का नाम लिखने का क्रम जारी है। वे कहती हैं कि वृंदावन से लाए गए लड्डू गोपाल अब उनके साथी हैं। पलंग के पास सिहराने उन्हें विराजित किया है। उन्हीं से सुख- दुख बांट लेती हूं।
सत्संग कभी ना छूटा
एक साल से कमर की हड्डी टूटी है, फिर भी मंदिर रोज सत्संग के लिए जाती हैं। मैनादेवी ने बताया कि 15 साल की उम्र से मंदिर में सत्संग के लिए जा रही हैं। ये क्रम आज भी बदस्तूर जारी है। श्रीकृष्ण के सैंकड़ों भजन याद हैं। इसके अलावा राजस्थानी भजन लयकारी के साथ गाती हैं।
Published on:
01 Aug 2023 04:44 pm
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