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Rajasthan Assembly Election 2023: जागरूक किसान…टरकाना नहीं आसान, ‘क्रॉप कटिंग’ आधार से बीमा कंपनी भरे नुकसान

locationचुरूPublished: Jun 09, 2023 08:57:38 am

Submitted by:

santosh

Rajasthan Assembly Election 2023: चूरू में बस के प्रवेश करते ही कुछ दूरी पर बस स्टॉप आया। बस से उतरते ही देखा किसानों का रेला चल रहा है। ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में खाद्य सामग्री के साथ भीड़ देखते ही कई वर्ष पहले राजधानी जयपुर का वह वाकया याद आ गया, जब किसान अपनी मांगों को लेकर शहर में पड़ाव डालने आए थे।

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ओमप्रकाश शर्मा/चूरू. Rajasthan Assembly Election 2023: चूरू में बस के प्रवेश करते ही कुछ दूरी पर बस स्टॉप आया। बस से उतरते ही देखा किसानों का रेला चल रहा है। ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में खाद्य सामग्री के साथ भीड़ देखते ही कई वर्ष पहले राजधानी जयपुर का वह वाकया याद आ गया, जब किसान अपनी मांगों को लेकर शहर में पड़ाव डालने आए थे। जिले के विभिन्न क्षेत्रों से आए किसानों की मांग थी कि वर्ष 2021 में फसल बीमे का आकलन सैटेलाइट इमेज के बजाय क्रॉप कटिंग रिपोर्ट के आधार पर किया जाए।

रैली के रूप में पहुंचे किसानों ने चूरू में कोर्ट परिसर के समीप पड़ाव डाल दिया। अक्सर रैलियों में शामिल लोग मुख्य मुद्दे से अनभिज्ञ रहते हैं। यहां ऐसा नहीं था। एक थड़ी पर चाय पी रहे किसान से पूछा तो उसने जिस बारीकी से मामला समझाया उससे साफ था कि इन जागरूक किसानों को खाली आश्वासन से टरकाया नहीं जा सकता। भूपसिंह ने बताया कि वर्ष 2021 में नुकसान अधिक हुआ तो बीमा कम्पनियों ने क्रॉप कटिंग रिपोर्ट के बजाय सैटेलाइट इमेज को आकलन का आधार बनाया। ऐसे में हमे नाममात्र का मुआवजा मिला है। आंदोलन से जुड़े निर्मलकुमार कहते हैं कि बीमा कम्पनी ने 254 करोड़ रुपए का बीमा क्लेम दिया है, जबकि क्रॉप कटिंग के आधार पर यह 800 करोड़ बनता है।

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सूना बाजार… खाली दुकानें
किसान सभा से शहर की ओर चले तो रेलवे स्टेशन पहुंचे। लगातार रेस्टोरेंट व ढाबे देख एहसास हो गया कि यात्रियों का ठिकाना है। एक चाय की दुकान पर शहर के मुख्य बाजार का रास्ता पूछा। बुजुर्ग व्यक्ति ने सीधी जा रही सडक़ की ओर इशारा कर दिया। बाजार पहुंचे, लेकिन शाम का समय होने के बावजूद वहां न ज्यादा भीड़ थी न ही दुकानदार व्यस्त नजर आए।

रोजगार और पानी की दरकार
एक पान की दुकान पर स्थानीय निवासियों की चर्चा में दखल देते हुए शहर के विकास के बारे में पूछा तो गढ़ से निकल रही सडक़ की ओर इशारा करते हुए इब्राहिम गोरी बोले, देख लो। थोड़ा आगे जाओ तो ड्रेनेज के हाल भी पता चल जाएंगे। शहर में ऐसा कोई मुद्दा जिसका हल जरूरी है, के सवाल पर वहां बैठ सभी लोग बोले, यहां रोजगार नहीं है। नवनीत व्यास कहते हैं कि यहां रोजगार के सीमित विकल्प हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भी आगे बढऩा है तो बाहर जाना पड़ेगा। हर घर से बाहर जाना मजबूरी है। पेजयल को लेकर भी परेशानी बताई गई। यहां भू-जल खारा है। पेजयल के लिए योजना तो है, लेकिन उससे पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा। नलकूप का सहारा लिया जाता है, जिसका पानी खारा है।
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बिल आने पर ही पता चलेगा…
चूरू शहर में गढ़ एरिया निवासी रतन ने बताया कि सरकारी योजनाओं के लिए सभी ने महंगाई राहत कैम्प में रजिस्ट्रेशन कराया है। हालांकि उन्होंने बिजली बिल में छूट को लेकर असमंजस की बात कही। उन्होंने कहा कि बिल आएगा तभी पता चलेगा क्या फायदा मिला।

सीमित व्यापार…बस गुजर-बसर
बाजार में आगे बढऩे पर आभूषण व्यापारी प्रकाश सोनी से मुलाकात हुई। जब हमने पूछा कि व्यापार कैसा चल रहा है। इस पर सोनी बोले, बाजार में सीमित व्यापार है। रोजगार चाहिए तो बाहर जाना ही पड़ेगा। आपकी दुकान आगे वाली पीढ़ी सम्भालेगी, पर बोले बेटा सीए है, वह दिल्ली में रह रहा है। यहां रहकर तो बस काम चलाया जा सकता है। दरअसल, चूरू में औद्योगिक लिहाज से सम्भावनाएं कम हैं। यहां एक मात्र हैंडीक्राफ्ट का काम है। उसकी भी ब्रांडिंग की जरूरत है। यहां हैंडीक्राफ्ट का कारोबार अमूमन छोटे स्तर पर ही किया जा रहा है।

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