
रेत के धोरों पिस्ता की खेती कर किसानों को मालामाल करने की राज्य सरकार की योजना फिलहाल फाइलों में अटकी पड़ी है।
राज्य सरकार की ओर से जिले को एक हैक्टेयर के लक्ष्य मिलने के बाद जिले के दो किसानों ने अपनी रिस्क पर पिस्ता की खेती के लिए आवेदन किया है। मगर अब तक उन्हें ना तो पिस्ता के बीज या पौधे मिले हैं और ना ही इनकी देखरेख के बारे में कोई जानकारी दी गई है। ऐसे में आवेदन कर चुके किसान अब कृषि विभाग कार्यालय में पौधों के बारे में जानकारी के लिए चक्कर काट रहे हैं। मगर कृषि विभाग के अधिकारियों को अब तक इस संबंध में पूरे दिशा-निर्देश नहीं मिलने से वे भी फिलहाल असमंजस में हैं। अधिकारियों के मुताबिक मार्च के महीने में केवल लक्ष्य दिया गया था। उसके बाद योजना को लेकर कोई निर्देश नहीं मिलने से ये स्पष्ट नहीं है कि किसान को पिस्ता के बीज-पौधे कौनसी नर्सरी से दिलाए जाएंगे। पौधे किस तकनीक से लगाए जाएंगे। किसान को पौधों पर कितना अनुदान मिलेगा। एक हैक्टेयर में कितने
पौधे लगेंगे। सिंचाई के लिए कितने दिन का अंतराल रखा जाएगा या कौनसी दवा व खाद का छिड़काव करना होगा।
खेती करने से पहले बांध दिए हाथ
तारानगर तहसील के गांव करणीसर व भामरा के दो किसानों ने आधा-आधा हैक्टेयर में पिस्ता की खेती के लिए आवेदन किया है। कृषि विभाग की ओर से दोनों किसानों से शपथ पत्र लिए गए हैं कि पिस्ता की खेती सफल नहीं होने की स्थिति में आर्थिक नुकसान को लेकर विभाग पर किसी तरह का कोई क्लेम नहीं करेंगे। जो भी नुकसान होगा, वे अपनी जेब से भुगतेंगे।
&एक हैक्टेयर में पिस्ता की खेती के लिए लक्ष्य मिला था। दो किसानों से आवेदन भी करवाया है। मगर फिलहाल योजना के बारे में कोई दिशा-निर्देश नहीं मिले हैं।
-हरिराम मेघवाल, सहायक निदेशक, उद्यान विभाग, चूरू
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