
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू। (Photo: X/@IsraeliPM)
इजरायल ऐसा पहला देश बन गया है जिसने सोमालीलैंड को एक स्वतंत्र और संप्रभु देश के रूप में मान्यता देने के फैसला किया है। अमेरिका ने इसका विरोध किया है और अफ्रीकन यूनियन ने इसे खारिज करते हुए चेतावनी दी है कि इससे महाद्वीप में अस्थिरता बढ़ सकती है। इससे अफ्रीका और मध्य-पूर्व में तीखी बहस शुरू हो गई है:
सोमालीलैंड, सोमालिया के उत्तरी हिस्से में स्थित एक स्वशासित क्षेत्र है। 1991 में जब सियाद बर्रे का शासन खत्म हुआ तो दक्षिणी सोमालिया अराजकता और गृहयुद्ध में डूब गया। उत्तर-पश्चिम में सोमाली नेशनल मूवमेंट ने नियंत्रण संभालते हुए सोमालीलैंड के रूप में स्वतंत्रता की घोषणा कर दी।
सोमालीलैंड एक देश की तरह काम करता रहा है। इसकी अपनी सरकार, मुद्रा, सेना और चुनावी प्रक्रिया है। इसके बावजूद किसी भी बड़ी शक्ति ने इसे मान्यता नहीं दी थी। सोमालिया की सरकार ने मान्यता को अपनी संप्रभुता पर जानबूझकर किया गया हमला बताया है। अफ्रीकी संघ ने कहा कि यह मान्यता अफ्रीका में अलगाववादी आंदोलनों के लिए खतरनाक मिसाल बन सकती है।
सोमालीलैंड की भौगोलिक स्थिति इसकी वजह है। यह अदन की खाड़ी के किनारे स्थित है जो लाल सागर और हिंद महासागर को जोड़ने वाला दुनिया का सबसे अहम समुद्री मार्ग है। वैश्विक समुद्री व्यापार का करीब 10-12% यहां से गुजरता है। इजरायल की कोशिश है कि लाल सागर में उसकी रणनीतिक पकड़ मजबूत हो।
अंतरराष्ट्रीय मान्यता न होने से इसे कर्ज, विदेशी निवेश और अंतरराष्ट्रीय सहायता हासिल करने में कठिनाई होती रही है। यह क्षेत्र गरीबी से जूझ रहा है। तनाव तब और बढ़ गया जब इथियोपिया ने इसके तट के एक हिस्से को बंदरगाह और सैन्य अड्डे के लिए पट्टे पर लेने का समझौता किया, जिससे सोमालिया नाराज हो गया।
Published on:
28 Dec 2025 04:50 am
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