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आज ही के दिन 22 साल पहले लिखी गई थी दिवार और दादा की कहानी

जब उसके बाद वही चीज़ हरभजन सिंह करने लगे तो राहुल द्रविड़ ने उन्हें मना करते हुआ कहा कि टीम में एक ही सलमान खान काफी है।

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Prabhanshu Ranjan

Jun 20, 2018

DRAVID AND RAHUL

आज ही के दिन 22 साल पहले लिखी गई थी दिवार और दादा की कहानी

नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट के दो दिग्गज राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली जिन्हें हर क्रिकेट प्रेमी प्यार देता है। शांत स्वभाव के राहुल द्रविड़ को आपने क्रिकेट के मैदान पर बहुत ही कम विरोधियों से बहस में उलझते हुए देखा होगा। उन्होंने विरोधियों की हर छींटाकशी का जवाब अपने बल्ले से दिया है। वर्ल्ड क्रिकेट में ''दिवार'' के नाम से मशहूर राहुल द्रविड़ और उनके स्वभाव के बिलकुल विपरीत दुनिया में अपनी दादागिरी के लिए मशहूर बंगाल टाइगर ''दादा' सौरव गांगुली ने विश्व क्रिकेट की हर टीम को अपनी दादागिरी दिखाई है । सौरव के नेतृत्व में ही भारतीय टीम ने वो आत्मविश्वास पाया जिसके बल पर हमारे खिलाड़ी विरोधियों के आँखों में आँखे डाल कर जवाब देना सीख पायें हैं । इन दोनों धाकड़ बल्लेबाजों ने आज के ही दिन एक साथ लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर अपने टेस्ट करियर की शुरुआत कि थी ।

राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली पहला मैच
1996 में जब आज से 22 साल पहले लॉर्ड्स के मैदान पर भारत की तरफ से दो नए खिलाड़ियों ने अपना पहला टेस्ट खेला था। उस मैच में दोनों के चयन के समय किसी ने सोचा नहीं होगा कि दोनों भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे महान खिलाड़ियों में शुमार हो जाएंगे। दोनों खिलाड़िओं ने साथ में तो अपनी टेस्ट करियर की शुरुआत कि थी पर दोनों के बैटिंग स्टाइल में जमीन-आसमान का अंतर था । राहुल जहां ठहराव के साथ अपनी पारी को एक मुकाम देते थे वहीँ गांगुली अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी के लिए जाने जाते हैं । दोनों महान खिलाड़ी थे और इन दोनों ने भारतीय क्रिकेट को बहुत कुछ दिया ।

क्रिकेट से जुड़ी दोनों की कई यादें हैं
अपने पहले मैच में जहां गांगुली ने शतक के साथ 131 रन मारे थे वहीँ राहुल का साथ भाग्य ने नहीं दिया और वो बस 5 रन से अपने शतक से चूक गए थे,तब राहुल ने 95 रन बनाये थे । 1999 के विश्वकप में दोनों ने दूसरे विकेट के लिए 318 रन जोड़ दिए और श्रीलंका को मैच से बाहर कर दिया। गांगुली ने 183 और द्रविड़ ने 145 रनों की पारी खेली और भारत ने 373/6 का विशाल स्कोर खड़ा किया। जवाब में श्रीलंका के पास इसका कोई जवाब नहीं था और वो 157 रनों से मैच हार गए। सौरव गांगुली के कप्तानी और राहुल के बेहतरीन बल्लेबाजी के कारण ही 2001 में लगातार 16 मैच जीत कर आई ऑस्ट्रेलिया टीम को भारत में हार का स्वाद चखना पड़ा था ।