साहस और धैर्य का कमाल मिश्रण
हनुमा के लिए सिडनी टेस्ट ही नहीं बल्कि पूरी टेस्ट सीरीज कुछ खास नहीं घटी। रन नहीं बने और फिल्डिंग भी काफी खराब रही। कुछ मौकों पर अहम कैच भी छोड़े, लेकिन उसके बाद भी उन्होंने साहस और धैर्य का कमाल का मिश्रण दिखाते हुए ऑस्ट्रेलिया गेंद्रबाजों को ब्रिस्बेन के मैदान में जाने पहले 40 ओर तक थका दिया। खासकर तेज गेंदबाजों को। हेजलवुड और कमिंस तो हनुमा के सामने लाचार नजर आए। स्टार्क ने आखिरी कुछ ओवर में परेशान जरूर किया, यहां तक कि कप्तान टिम पेन ने उनकी गेंद पर विकेट के पीछे कैच भी छोड़ दिया। वर्ना हनुमा को किसी भी गेंदबाज से कोई परेशानी नहीं हुई।
7 गेंदों पर बनाया एक रन
हनुमा ने रन भले ही ना बनाए हों, लेकिन उन्होंने 161 गेंद खेली और 23 रन बनाए। यानी उन्होंने एक ओवर मेडन खेलकर 7वीं गेंद पर रन लिया। जिसकी वजह से उनका स्ट्राइक रेट इस पारी में मात्र 14.29 का रहा। उन्होंने अपनी पारी में 16 रन बाउंड्री लगाकर बनाए यानी 4 चौके जड़े। वो 4 घंटे से ज्यादा मैदान में टिककर टीम इंडिया के लिए मैच बचाने में कामयाब रहे।
करियर सेविंग पारी
भले ही हनुमा विहारी ब्रिस्बेन में हैमस्ट्रिंग के कारण ना खेल पाएं हों, लेकिन जब भी टीम इंडिया अगले किसी सीरीज के लिए टीम का सेलेक्शन करेगी, तब बाकी खिलाडिय़ों से पहले हनुमा का नाम ध्यान में रहेगा। संजय मांजरेकर, अजीत अगरकर, सुनील गावस्कर जैसे पूर्व दिग्गजों ने कहा कि हनुमा की यह पारी उनके करियर के संजीवनी साबित हो सकती है। आने वाले दिनों में टीम इंडिया को जिंबावे, इंग्लैंड और श्रीलंका जैसे देशों का टूर करना है। वहां पर हनुमा को मौका मिल सकता है।