
विदेशों में सफलता के लिए तरसता घरेलू पिचों का शहंशाह
अश्विन ने इंग्लैंड के खिलाफ जारी टेस्ट श्रृंखला के पहले मैच की पहली पारी में 26 ओवर्स में 62 रन देकर 4 विकेट झटके और दूसरी पारी में 21 ओवर्स में 59 रन देकर 3 विकेट लिए, तो एक बार तो ऐसा प्रतीत हुआ कि ये दौरा विदेशी पिचों पर अश्विन की सफलता के नाम रहेगा। लेकिन दूसरे ही टेस्ट मैच से यह भ्रम दूर हो गया औऱ् 17 ओवर्स में 68 रन देकर अश्विन एक भी विकेट लेने में नाकाम रहे। तीसरे टेस्ट मैच में भी अश्विन केवल 1 विकेट ले पाए। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर घरेलू पिचों के शहंशाह रविचंद्रन अश्विन विदेशी पिचों पर साधारण से गेंदबाज क्यों नजर आने लगते हैं।
विकेट लेने के मामले में बनाए नए-नए रिकॉर्ड
भारतीय उपमहाद्वीप की पिचें स्पिनर्स के लिए मददगार साबित होती हैं। उनमें यदि भारतीय स्पिन गेंदबाज सफल होते हैं, तो यह उन्हें अच्छा गेंदबाज तो साबित करता है, मगर महान गेंदबाज नहीं। लेकिन अगर अश्विन के रिकॉर्ड पर नजर डालें, तो वह दुनिया के महानतम गेंदबाजों में से एक प्रतीत होंगे। पहले उन्होंने केवल 45 टेस्ट मैचों में 250 विकेट लेकर महान तेज गेंदबाज डेनिस लिली के बरसों पुराने रिकॉर्ड को तोड़ा था, तो बाद में केवल 54 टेस्ट मैचों में 300 विकेट पूरे करके उन्होंने डेनिस लिली के ही 56 मैचों में 300 विकेट लेने के रिकॉर्ड को धराशाई कर दिया। सीरीज दर सीरीज उनके खाते में नए-नए रिकॉर्ड जुड़ते जा रहे हैं। आईसीसी रैंकिंग में भी वह अकसर नंबर एक टेस्ट गेंदबाज होते हैं। जब इस स्तर का गेंदबाज इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया या दक्षिण अफ्रीका की पिचों पर विकेट के लिए तरसता नजर आता है, तो उनकी प्रतिभा पर कुछ सवाल उठना स्वाभाविक है।
भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर नहीं चलता जादू
अश्विन की फिरकी का जादू भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर उतना नहीं चलता। यही वजह है कि घर में बड़े से बड़े बल्लेबाज को छकाने वाले अश्विन भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर एक साधारण गेंदबाज जैसा प्रदर्शन करने लगते हैं। अश्विन एक मेहनती गेंदबाज है और लगातार अपने खेल में सुधार करते रहते हैं। इसलिए खेलप्रमियों को उनसे उम्मीद रहती है कि वह विदेशों में अपना प्रदर्शन सुधारकर आलोचकों का मुंह बंद कर देंगे।
Published on:
28 Aug 2018 09:09 pm
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