क्रिकेट पर भी नस्लभेद की आंच
बता दें कि हाल ही में अमरीका में 46 साल के अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड (George Floyd) की गर्दन एक श्वेत पुलिसकर्मी ने घुटने से काफी देर दबाए रखा था। इस कारण उनकी मौत हो गई। उनकी हत्या के विरोध में दुनियाभर में विरोध दर्ज कराया जा रहा है। ट्विटर पर #Blacklivesmatter ट्रेंड कर रहा है। अब इसकी आंच क्रिकेट पर भी आती दिख रही है। इससे पहले डैरेन ब्रावो (Daren Bravo) और क्रिस गेल (Chris Gayle) ने भी क्रिकेट में नस्लभेद का आरोप लगाया था। गेल ने कहा था कि फुटबॉल ही नहीं, क्रिकेट में भी नस्लभेद है। कुछ साल पहले ऑस्ट्रेलिया के हरफनमौला एंड्रयू साइमंड्स (Andrew Symonds) और पिछले साल इंग्लैंड के तेज गेंदबाज जोफ्रा आर्चर (Jofra Archer) भी इसके शिकार हो चुके हैं।
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डैरेन सैमी की इंस्टाग्राम स्टोरी हो रही है वायरल
डैरेन सैमी की एक इंस्टाग्राम स्टोरी वायरल हो रही है। इसमें लिखा है कि जब वह 2013-14 में आईपीएल में सनराइजर्स हैदराबाद के लिए खेल रहे थे, तब उन्हें और श्रीलंका के क्रिकेटर थिसारा परेरा को कालू नाम से बुलाते थे। तब वह नहीं जानते थे कि कालू का अर्थ क्या होता है। उन्हें लगता था कि कालू का मतलब मजबूत घोड़ा होता है, लेकिन अब पता चला कि कालू गहरे रंग वाले को कहते हैं। इसका अर्थ जानकर वह बहुत गुस्से में हैं। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया है कि यह टिप्पणी उन पर कौन किया करता था या आम था।
फ्लॉयड के पक्ष में आवाज उठाने वाले पहले क्रिकेटर सैमी
डैरेन सैमी पहले ऐसे क्रिकेटर हैं, जिन्होंने जॉर्ज फ्लॉयड के पक्ष में आवाज उठाई। उन्होंने आईसीसी (ICC) से यह अनुरोध किया था कि क्रिकेट जगत के लोगों को नस्लवाद के खिलाफ सामने आना चाहिए। सैमी के बाद में क्रिस गेल, डैरेन ब्रावो, आंद्रे रसेल (Andre Russell), केएल राहुल (KL Rahul) जैसे कई क्रिकेटरों ने नस्लवाद के खिलाफ लिखा। सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने भी नस्लवाद के खिलाफ चल रहे अभियान का समर्थन किया और लिखा- नेल्सन मंडेला (Nelson Mandela) ने कहा था कि खेलों में दुनिया को बदलने की ताकत है। इसमें दुनिया को एकजुट करने की जितनी ताकत है, उतनी किसी में नहीं है।