5 जून को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ विश्व कप में भारत के पहले मैच में महेंद्र सिंह धोनी के विकेटकीपिंग दस्ताने पर भारतीय पारा विशेष बल का रेजिमेंटल चिह्न देखा गया था। इसी को हटाने के लिए आईसीसी ने कहा था। बता दें कि धोनी को 2011 में पैराशूट रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद उपाधि मिली थी। धोनी ने 2015 में पैरा ब्रिगेड का प्रशिक्षण भी लिया था।
आईसीसी की ओर से महेंद्र सिंह धोनी के लोगो पर रोक लगाने के बाद बीसीसीआई ने महेंद्र सिंह धोनी का समर्थन करते हुए आईसीसी से इस लोगो के साथ महेंद्र सिंह धोनी को खेलने देने की इजाजत मांगी थी। सीओए प्रमुख विनोद राय ने भी कहा था कि महेंद्र सिंह धोनी को ग्लव्स से बैज हटाने की जरूरत नहीं है। वह इस बारे में आईसीसी से बात भी करेंगे। उन्होंने कहा था कि इससे आईसीसी के किसी नियम का उल्लंघन नहीं होता है। उनका तर्क था कि धोनी के दस्तानों पर मौजूद चिह्न न तो राजनीतिक हैं और न ही धार्मिक। इसलिए इस इससे आईसीसी के किसी नियम का उल्लंघन नहीं होता।
ग्लव्स विवाद में पाकिस्तान भी कूद गया था। पाकिस्तान के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री चौधरी फवाद हुसैन ने धोनी के ग्लव्स पर टिप्पणी करते हुए कहा कि धोनी इंग्लैंड में क्रिकेट खेलने गए हैं। महाभारत की लड़ाई लड़ने नहीं। उन्होंने अपने बयान में भारतीय मीडिया पर भी निशाना साधा थ।
कांग्रेस समेत पूरे भारत से मिला धोनी को समर्थन
इस विवाद पर भारतीय सेलिब्रिटी से लेकर आम लोगों तक ने महेंद्र सिंह धोनी का समर्थन किया था। कांग्रेस पार्टी ने भ्ज्ञी महेंद्र सिंह धोनी के समर्थन में ट्वीट कर कहा था कि धोनी के दस्ताने पर मौजूद चिह्न न तो राजनीतिक हैं और न ही धार्मिक।
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने ‘धोनी कीप द ग्लव्स’ हैशटैग के साथ ट्वीट किया और लिखा कि एमएस धोनी भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल हैं, बल्कि इससे ज्यादा उनके पास विशेष बल की मानद उपाधि है। आईसीसी का नियम कहता है कि किसी भी प्रकार का राजनीतिक, धार्मिक या नस्लभेदी चिह्न या संकेत प्लेयिंग आउटफिट के साथ नहीं जुड़ा होना चाहिए। यह चिह्न इनमें से नहीं है।