मुनफ के लिए भी आसान नहीं रहा सफर
2011 की विश्व कप विजेता टीम के प्रमुख सदस्य मुनफ पटेल के लिए भी क्रिकेट की दुनिया में आना आसान नहीं था। वह दिहाड़ी मजदूर थे। वह टाइल के डिब्बों की पैकिंग किया करते थे और यह काम 8 घंटे करने पर उन्हें दिनभर की मजदूरी महज 35 रुपए मिलती थी। वह गरीबी का दर्द जानते थे, इसलिए उन्होंने हर जरूरतमंद की मदद की। इसमें से एक श्रीसंत भी थे।
श्रीसंत के पास किराए के भी नहीं थे पैसे
संघर्ष के दौरान एक वक्त तो ऐसा आया जब क्रिकेटर श्रीसंत के पास कमरे का किराया देने को भी पैसे नहीं थे, तब मदद के लिए मुनफ आगे आए। इसके बाद तो श्रीसंत ने 2007 में पहले टी-20 विश्व कप में न सिर्फ भारत का प्रतिनिधित्व किया, बल्कि भारत को विश्व विजेता बनाने में भी अहम योगदान दिया।
श्रीसंत ने बिग बॉस में शेयर की थी यह घटना
श्रीसंत ने 2004 की उस घटना को याद करते हुए बताया कि यह तब कि बात है, जब उस साल केरल की रणजी टीम में उनका चयन नहीं हुआ था। उस वक्त एक मैच खेलने के एक हजार रुपए मिलते थे। साल में आम तौर पर एक प्लेयर के हिस्से में 15 मैच आते थे। यानी साल भर में उनकी कमाई मात्र 15 हजार रुपए होती थी। उस दौरान उनके पास कमरे का किराया देने के लिए भी पैसा नहीं था। वह निराश हो गए। कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें, तब मदद के लिए मुनफ आगे आए। उन्होंने न सिर्फ हौसला बढ़ाया, बल्कि आर्थिक मदद भी की।
साल के अंत तक 25 लाख रुपए थे उनके पास
श्रीसंत ने बताया कि फरवरी 2004 से लेकर सितंबर 2005 तक उनके पास कमरे का किराया देने तक के लिए पैसे नहीं थे और अक्टूबर 2005 में उनके पास 25 लाख रुपए थे। बता दें कि अक्टूबर 2005 में वह पहली बार श्रीलंका दौरे के लिए टीम इंडिया के वनडे टीम में चुने गए थे।