यदि मैनचेस्टर टेस्ट योजना के अनुसार हुआ होता, तो भारत पटौदी ट्रॉफी जीतने का प्रबल दावेदार होता, लॉर्डस में शानदार जीत (151 रन से) और द ओवल (157 रन से) के साथ 2-1 की बढ़त ले चुका था। दूसरी ओर, इंग्लैंड को हेडिंग्ले में केवल एक पारी और 78 रनों से जीत मिली, जिसमें जो रूट ने बल्लेबाजी के साथ-साथ कप्तानी की जिम्मेदारी भी निभाई थी। लेकिन जैसा कि कहते हैं, क्रिकेट की दुनिया में एक साल बहुत कुछ बदल जाता है। ऑस्ट्रेलिया टी20 विश्व कप विजेता बन गया, केटी मार्टिन, मिताली राज, एमी सैटरथवेट, रॉस टेलर, कीरोन पोलार्ड, विलियम पोर्टरफील्ड, पीटर सीलार और इयोन मोर्गन अब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर नहीं हैं, आईपीएल बैंडवागन ने दो नई टीमों को देखा और उनमें से एक ट्राफी जीतने में कामयाब रही।
उसके बाद भारत के खिलाफ श्रृंखला ठप हो गई, इंग्लैंड टेस्ट क्रिकेट में निचले क्रम में पहुंच गया, क्योंकि वह ऑस्ट्रेलिया में एशेज 4-0 से और वेस्टइंडीज में 1-0 से हार गया। रूट और क्रिस सिल्वरवुड ने कप्तान और कोच से पद इस्तीफा दे दिया, इसके बाद एशले जाइल्स और ग्राहम थोर्प प्रबंध निदेशक पुरुष क्रिकेट और बल्लेबाजी कोच बन गए।
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कप्तान के रूप में बेन स्टोक्स, मुख्य कोच के रूप में ब्रेंडन मैकुलम और क्रिकेट के प्रबंध निदेशक के रूप में रॉब की के नई टीम का हिस्सा हो गए। इंग्लैंड अब एक पूरी तरह से अलग टेस्ट टीम है, जो क्रिकेट का एक सकारात्मक और आक्रामक ब्रांड खेल रहा है। उन्होंने हाल ही में मौजूदा विश्व टेस्ट चैंपियंस न्यूजीलैंड के खिलाफ 3-0 से स्वीप पूरा किया, जिसमें 250 प्लस स्कोर का पीछा किया। उनका स्कोरिंग रेट 4.54 था, तीन, चार और पांच पर बल्लेबाजों का संयुक्त औसत 70.46 है। वे अब रूट पर निर्भर नहीं हैं। ओली पोप और जॉनी बेयरस्टो ने जुझारू पारियों के साथ टीम को अलग लेवल पर पहुंचाया है।