
बड़ौदा : जम्मू एवं कश्मीर के क्रिकेटरों के लिए इरफान पठान संजीवनी साबित हुए हैं। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35-ए निष्प्रभावी होने के बाद से वहां का जनजीवन ठप पड़ा हुआ है। इस वजह से इस बार घरेलू सीजन में उनका खेलना संदिग्ध लग रहा था। ऐसे मौके पर इरफान पठान उनके लिए भगवान बन कर आए और उन्होंने उनके लिए बड़ौदा के मोती बाग मैदान में आगामी घरेलू सीजन की तैयारी करने का मौका कराया। कुछ दिन पहले तक उन्हें अपना भविष्य अंधकारमय लग रहा था।
इस तरह जम्मू-कश्मीर के खिलाड़ियों को लेकर आए बड़ौदा
सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर से 370 और 35-ए हटाए जाने के बाद खिलाड़ियों को राज्य से बाहर जाने के लिए कहा गया था। इससे अगस्त से लेकर सितंबर तक जम्मू-कश्मीर के खिलाड़ियों की क्रिकेटीय गतिविधि प्रभावित हुई। इन खिलाड़ियों के पास कहीं इकट्ठा होकर खेलने की जगह भी नहीं बची। ऐसे में जम्मू-कश्मीर क्रिकेट टीम के मेंटर और पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज इरफान पठान सामने आए। उन्होंने जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन के सीईओ आशिक अली बुखारी समेत अन्य अधिकारियों से बात की और टीवी पर विज्ञापन देकर खिलाड़ियों को जम्मू में जेकेसीए कार्यालय पर रिपोर्ट करने को कहा गया। इरफान ने बताया कि अगस्त के अंत में हमने विज्ञापन जारी करने का निर्णय लिया था और इसके बाद विजय हजारे ट्रॉफी से पहले कैम्प लगाने का फैसला किया।
इरफान ने कहा- हम पीछे चल रहे हैं
इरफान पठान ने कहा कि जून के मध्य में कैम्प शुरू किया था और हमने अच्छी प्रगति की थी। जब अगस्त की शुरुआत में दोबारा कैम्प लगाया गया तो मैच खेलने और ट्रेनिंग करने का समय था। हालांकि हम जानते हैं कि पीछे चल रहे हैं, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करने के लिए एक रास्ता खोजने की जरूरत थी, ताकि लड़के क्रिकेट खेलने के लिए अच्छे से तैयार रहें। उन्होंने कहा कि यह आदर्श स्थिति नहीं है। हम थोड़े कम तैयार हैं। इसके बावजूद पूरी कोशिश करेंगे। हमें मौजूदा स्थिति के बारे में सोचने की जरूरत है। क्रिकेट खेलने के बारे में सोचने की जरूरत है। यह शिविर अधिकतम दो सप्ताह तक चलेगा।
Updated on:
08 Sept 2019 10:27 pm
Published on:
08 Sept 2019 10:25 pm
बड़ी खबरें
View Allक्रिकेट
खेल
ट्रेंडिंग
