
पृथ्वी शॉ: पिता पंकज का मेहनत, शिवसेना विधायक की मदद, जानिए भारत के नए सचिन की संघर्षगाथा
नई दिल्ली।भारतीय क्रिकेट टीम को पृथ्वी शॉ के रूप में नया सुपरस्टार मिल चुका है। टेस्ट डेब्यू में शतक लगाने वाले पृथ्वी की जमकर तारीफ की जा रही है। कई क्रिकेट विशेषज्ञ उन्हें सचिन का दूसरा रूप बता रहे है। आज भले ही पृथ्वी भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे बड़े उदीयमान सितारे हों। लेकिन इस मुकाम तक आने के लिए पृथ्वी ने काफी मेहनत की है। पृथ्वी के मेहनत में उनके पिता पंकज शॉ का संघर्ष भी जुड़ा है। बता दें कि मूलत: बिहार के गया जिले से ताल्लुक रखने वाले पंकज शॉ काफी पहले बिहार छोड़ कर रोजी-रोटी की तलाश में मुंबई में आ गए थे। यही पृथ्वी का जन्म हुआ। जब पृथ्वी चार साल के थे तभी उनकी मां का देहांत हो गया था। इसके बाद उनके पिता पंकज ने विपरित चुनौतियों का सामना करते हुए पृथ्वी को इस काबिल बनाया। पृथ्वी के बारे में एक और रोचक बात यह बता दें कि उन्हें शुरुआती दिनों में एक स्थानीय नेता ने काफी मदद की। वर्तमान में वह नेता शिवसेना से विधायक हैं। यदि पृथ्वी को यह मदद नहीं मिली होती तो शायद उनके क्रिकेटर बनने का सपना सफल नहीं हो पाता।
पिता के कंधों पर बैठ करते थे सफर-
एक समय था जब पृथ्वी शॉ अपने पिता के कन्धों पर बैठ कर लोकल ट्रेन से एक घंटे लम्बा सफर तय कर बांद्रा से भयंदर जाया करते थे। वह ट्रेन की भीड़ में दब नहीं जाएं इसलिए उन्हें ऐसा करना पड़ता था। जब भीड़ कम होती तब उनके पिता उनको कंधे से उतारकर यह सुनिश्चित करते कि पृथ्वी की क्रिकेट किट सलामत है या नहीं। आज जब पृथ्वी ने वेस्टइंडीज के खिलाफ भारत के लिए पदार्पण करते हुए शतक जड़ा तो उनके पिता को बहुत ही सुकून मिला होगा। जितनी मेहनत पृथ्वी ने की उतनी ही उनके पिता पंकज शॉ की भी रही है। मुंबई के विरार में रहने वाले पृथ्वी को शहर के अलग-अलग मैदानों में ले जाने के लिए उनके पिता को कड़ी मेहनत करनी होती थी।
पिता ने किया बराबर का संघर्ष-
उन संघर्ष के दिनों में जब पृथ्वी सुबह घण्टे भर की अधिक नींद ले रहे होते थे तभी उनके पिता उठ के नाश्ता बना लेते थे। एक बार पृथ्वी उठ जाते थे फिर वहीं दिन भर की भागदौड़ शुरू हो जाती थी। जब एक बार पृथ्वी ग्राउंड पहुंच जाते थे तभी उनके पिता चैन की सांस लेते थे। जब पृथ्वी मुंबई की गर्मी में पुल शॉट खेल रहे होते थे उस समय उनके पिता पेड़ के छाए में बैठ कर पृथ्वी का खेल देखते थे।
शिवसेना विधायक ने की मदद-
पृथ्वी को छोटी-बड़ी मदद मिल जाया करती थी। पृथ्वी और उनके पिता को शिवसेना के विधायक संजय पोटनिस का साथ 2009 में मिला। जब उन्होंने उनको वकोला में फ्लैट दिया था। यह फ्लैट पृथ्वी के बांद्रा स्थित ग्राउंड के पास था जिस कारण अब उनके सफर का समय बच जाता था। अब पंकज और पृथ्वी के पास समय रहता था और इस समय ने उनके संघर्ष को कम किया।
चौथे सबसे युवा अंतर्राष्ट्रीय शतकवीर-
वेस्टइंडीज के खिलाफ सौराष्ट्र क्रिकेट स्टेडियम में गुरुवार को भारतीय क्रिकेट टीम के साथ टेस्ट मैच में पदार्पण करने के साथ ही 18 वर्षीय पृथ्वी शॉ ने एक बड़ी उपलब्धि भी अपने नाम की है। पृथ्वी अपने पदार्पण टेस्ट मैच में शतक लगाने वाले चौथे सबसे युवा बल्लेबाज बन गए हैं।
पृथ्वी की सफलता का सफर-
शॉ ने 14 साल की उम्र में स्कूल क्रिकेट के दौरान 546 रन की पारी खेली थी। वहीं 17 साल की उम्र में उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में डेब्यू कर लिया था। पृथ्वी दलीप ट्रॉफी में शतक लगाने वाले सबसे युवा खिलाड़ी भी हैं। वहीं रणजी क्रिकेट के डेब्यू में भी उन्होंने शतक लगाया था। इसी साल की शुरुआत में पृथ्वी ने अंडर 19 विश्व कप की कप्तानी कर भारत को ख़िताब भी जिताया। मात्र 18 साल की उम्र में 5 फर्स्ट क्लास शतक मारने वाले इकलौते खिलाड़ी हैं पृथ्वी।
Updated on:
04 Oct 2018 03:43 pm
Published on:
04 Oct 2018 03:38 pm
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