वहीं मुंबई को रणजी ट्रॉफी के फाइनल मुक़ाबले में हराना कोई आसान काम नहीं है। मुंबई ने 87 साल के रणजी इतिहास में 47 बार फाइनल में जगह बनाई है। वहीं 41 बार उसे जीत हासिल हुई है। यह छठी बार है जब मुंबई रणजी का फाइनल मुक़ाबला हार रहा है। इन आकंड़ों से पता चलता कि खिताबी मुकाबले में मुंबई को हराना मध्य प्रदेश के लिए कितनी बड़ी बात है। मुंबई ने आखिरी बार 2015/16 में सौराष्ट्र को हराकर खिताब जीता था।
कब- कब मुंबई बनीं चैंपियन
मुंबई की टीम ने लंबे समय तक भारत के घरेलू क्रिकेट में राज किया है और भारतीय टीम को कई दिग्गज खिलाड़ी भी दिये हैं। रणजी का पहला सीजन 1935 में खेला गया था और उसका विजेता मुंबई था। 1935 के बाद मुंबई ने 1936, 1942, 1945, 1949, 1952, 1954, 1956, 1957 में रणजी खिताब अपने नाम किए। इसके बाद 1959 से लेकर 1973 तक मुंबई ने 15 साल तक लगातार खिताब अपने नाम किए। उन्हें 1974 में हार हा सामना करना पड़ा। लेकिन 1975 और 1976, फिर 1977, 1981, 1984 और 1985 में टीम चैंपियन बनी। हालांकि मुंबई को इसके बाद थोड़ा इंतजार करना पड़ा और इस फिर 1994 में मुंबई की टीम अपने पुराने रंग में नजर आई। 1994 के बाद 1995 में भी टीम ने खिताब जीता और फिर 1997,2000, 2003, 2004, 2007, 2009, 2010, 2013, 2016 में भी टीम विजेता बनी।
फाइनल मैच का हाल –
बता दें बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेले जा रहे इस मैच में मध्य प्रद्र्श ने मुंबई पर सिकंजा कस दिया है। पहली पारी में 162 रनों से पिछड़ने के बाद दूसरी पारी में मुंबई की टीम 269 रन ही बना सकी। ऐसे में मध्य प्रदेश को खिताब जीतने के लिए सिर्फ 108 रन बनाने हैं। मुंबई के ऑलआउट होते ही लंच की घोषणा कर दी गई। दूसरी पारी में एमपी के लिए कुमार कार्तिकेय ने सबसे ज्यादा चार विकेट चटकाए। पांचवें दिन पहले सेशन में ही मुंबई ने अपने आठ विकेट गंवा दिए।