क्राइम

3 साल बाद भी नहीं सुलझी CBI जज के मौत की मिस्ट्री, उठ रहे 13 बड़े सवाल

CBI जज बृजगोपाल हरकिशन लोया की मौत पर तीन साल बाद सवाल उठ रहे हैं। मौत के वक्त लोया विशेष कोर्ट में सोहराबुद्दीन मुठभेड़ केस की सुनवाई कर रहे थे।

4 min read
Nov 25, 2017

नई दिल्ली: नागपुर में एक दिसंबर 2014 में रहस्यमय परिस्थितियों में मृत सीबीआई जज बृजगोपाल हरकिशन लोया की मौत पर तीन साल बाद सवाल उठ रहे हैं। मौत के वक्त लोया सीबीआई की विशेष कोर्ट में सोहराबुद्दीन मुठभेड़ केस की सुनवाई कर रहे थे। इस मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी आरापियों में शामिल थे। हालांकि बाद में कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया।


परिजनों के बगैर बताए पोस्टमार्टम
द कैरेवान मैग्जीन में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक दो सहयोगी जजों के आग्रह पर लोया एक विवाह समारोह में शामिल होने नागपुर गए थे। वहीं उनकी मौत हो गई। मौत की वजह दिल का दौरा बताई गई। परिजनों को सूचित किए बिना ही उनका पोस्टमार्टम करा दिया गया। इसके बाद शव मुंबई में पत्नी और बेटे के पास भेजने की जगह चुपचाप लोया के पैतृक गांव गाटेगांव भेज दिया गया।

ये भी पढ़ें

व्यवसायी ललित हत्याकांड की जांच सीबीआई को सुपुर्द, पूर्व विधायक पूजा पाल समेत कई लोग है आरोपित


जज को मिला था 100 करोड़ का ऑफर
लोया की बहन डॉ. अनुराधा बियाणी ने द कैरेवान मैग्जीन को बताया, उनके भाई के कपड़ों पर खून लगा था। बियाणी ने यह भी बताया कि मौत से कुछ दिन पहले उनके भाई को मामला निपटाने के लिए एक जज ने सौ करोड़ रुपए का ऑफर दिया था। हालांकि जज की मौत के मामले में इस मैग्जीन और अन्य मीडिया रिपोट्र्स में किसी पर सीधी उंगली नहीं उठाई गई है। सिर्फ जांच की मांग गई है।


सोहराबुद्दीन केस की सुनवाई कर रहे थे जस्टिस्ट लोया
रिपोर्ट के अनुसार मौत के वक्त लोया केवल सोहराबुद्दीन केस की सुनवाई कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में इस केस की सुनवाई गुजरात से महाराष्ट्र भेजी थी। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया था कि इसकी सुनवाई शुरू से अंत तक ही एक ही जज करे।


शाह की पेशी के पहले जस्टिस लोया की मौत
इसके बावजूद पहले सुनवाई कर रहे जज जेटी उत्पट को 2014 में सीबीआई की विशेष अदालत से हटाकर लोया को लगाया गया। उत्पट ने 6 जून 2014 को शाह को कोर्ट में पेश न होने पर फटकार लगाई। अगली तारीख 20 जून को भी शाह नहीं पेश हुए तो उत्पट ने 26 जून की तारीख तय की लेकिन 25 जून को उनका तबादला हो गया। इसके बाद आए लोया ने 31 अक्टूबर 2014 को सवाल उठाया कि आखिर शाह मुंबई में होते हुए भी तारीख पर कोर्ट नहीं कोर्ट आए। उन्होंने अगली सुनवाई की तारीख 15 दिसंबर तय की थी। इसी बीच एक दिसंबर को उनकी मौत हो गई। उनकी मौत के बाद एमबी गोसावी को विशेष जज बनाया गया। गोसावी ने 15 दिसंबर 14 को सुनवाई शुरू की और 17 दिसंबर को सुनवाई पूरी कर आदेश सुरक्षित रख लिया। 30 दिसंबर 2014 को गोसावी ने भाजपा अध्यक्ष शाह को इस मामले में बरी कर दिया।


जस्टिस शाह ने कहा- ब्रजगोपाल की मौत की निष्पक्ष जांच हो
दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एपी शाह ने कहा कि ब्रजगोपाल की मौत की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस खुद निर्णय करें कि इसमें जांच की जरूरत है या नहीं। यदि लोया के परिजनों के आरोपों के आधार पर जांच नहीं की गई तो न्यायपालिका की कार्यप्रणाली पर गलत संदेश जाएगा।


एक जज की ऐसी मौत तो आम आदमी का क्या होगा
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि एक जज की संदिग्ध स्थिति में मौत हो जाती है तो आम आदमी का क्या होगा। जिस दिन जज लोया की खबर पढ़ी सो नहीं पाया। कोई कितना भी बड़ा हो, जांच हो, सजा मिलनी चाहिए।


दिल की बीमारी नहीं तो मौत की वजह क्या
रिपोर्ट में मौत की वजह "कोरोनरी आर्टरी इनसफीशिएंसी" बताई गई है। लोया की बहन डॉ. अनुराधा बियाणी कहती हैं, बृज 48 वर्ष के थे। मेरे माता-पिता 85 और 80 साल के हैं और वे स्वस्थ हैं। उन्हें दिल की बीमारी की कोई शिकायत नहीं थी। दिन में दो घंटे टेबल टेनिस खेलते थे। उन्हें न मधुमेह था न रक्तचाप। आमतौर पर इस तरह के दौरे फैमिली हिस्ट्री से जुड़े होते हैं। लोया के बेटे अनुज ने पिता की मौत की जांच के लिए आयोग गठित करने की मांग की थी लेकिन उसकी सुनवाई नहीं हुई।

जस्टिस लोया की मौत पर उठ रहे ये 13 बड़े सवाल
1. उनका पार्थिव शरीर गाटेगांव स्थित पैतृक निवास भेजा गया। लोया की पत्नी और बेटा मुंबई में था तो वहां क्यों नहीं भेजा?

2. नागपुर से एम्बुलेंस ड्राइवर शव लेकर आया कोई सहकर्मी या सुरक्षाकर्मी नहीं था? दो सहयोगी जज जिनके आग्रह पर लोया नागपुर गए थे वे साथ क्यों नहीं आए?

3. परिजनों के अनुसार लोया के सिर पर चोट थी। कॉलर पर और बाएं कंधे से कमर तक खून था। जबकि हार्टअटैक से मौत या इसके बाद पीएम में खून नहीं निकलता।


4. क्या उस रात रवि भवन में गाड़ी नहीं थी। जबकि वहां नियमित मंत्री, आईएएस, आइपीएस, जज सहित तमाम वीआईपी ठहरते हैं।


5. पुलिस को मृतक का निजी सामान जब्त कर पंचनामा बनाना चाहिए, बिना छेड़छाड़ परिवार को देना चाहिए। परिवार को पंचनामे की प्रति भी नहीं दी।


6. लोया मुंबई में रवि भवन में ठहरे थे। वहां से उन्हें ऑटो से अस्पताल ले जाने की बात कही गई जबकि, सबसे करीबी ऑटो स्टैंड दो किमी दूर है। आधी रात को ऑटो का इंतजाम कैसे हुआ?


7. लोया को अस्पताल ले जाते वक्त परिवार को सूचना क्यों नहीं दी? लोया को पहले जिस निजी अस्पताल दांडे में ले जाया गया वहां ईसीजी मशीन भी काम नहीं कर रही थी। इसके बाद उन्हें निजी अस्पताल मेडीट्रिना ले जाया गया जहां उन्हें जाते ही मृत घोषित कर दिया गया। पोस्टमार्टम की मंजूरी परिवार से क्यों नहीं ली गई? परिवार को क्यों नहीं सूचित किया गया कि पोस्टमार्टम होना है?


8. लोया का मोबाइल मौत के तीन दिन बाद ईश्वर बहेती नाम के कथित आरएसएस कार्यकर्ता ने दिया। फोन का सारा डेटा डिलीट था। आखिर मोबाइल पुलिस ने क्यों नहीं दिया और डेटा किसने और क्यों डिलीट किया?


9. पोस्टमॉर्टम की सिफारिश किसने की और क्यों? मौत में ऐसा क्या संदिग्ध था कि पोस्टमार्टम का सुझाव दिया गया?


10. दांडे अस्पताल में उन्हें कौन सी दवा दी गई? परिजनों ने वहां पूछताछ की तो कुछ भी बताने से मना क्यों कर दिया गया?


11. लोया को नागपुर जाने के लिए आग्रह करने वाले जज उनकी मौत के डेढ़ महीने बाद तक परिवार से मिलने क्यों नहीं आए?


12. पोस्टमॉर्टम नागपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में हुआ। रिपोर्ट में पुलिस अधिकारी के अलावा एक और व्यक्ति के दस्तखत हैं जिसने नाम के साथ लिखा है "मैयाताजा चलतभाऊ" यानी मृतक का चचेरा भाई। लोया के पिता के अनुसार उनका कोई भाई या चचेरा भाई नागपुर में नहीं है। रिपोर्ट पर किसने साइन की? शव किसके सुपुर्द किया गया?


13. रिपोर्ट के अनुसार मौत का वक्त सुबह 6.15 बजे है जबकि लोया के परिजनों के मुताबिक उन्हें सुबह 5 बजे से ही मौत की सूचना के फोन आने लगे थे। समय में ये अंतर क्यों और कैसे हुआ?

ये भी पढ़ें

सोहराबुद़़दीन-तुलसी एनकाउंटर केस : 29 नवम्बर से शुरू होगी ट्रायल, सीबीआई ने जारी की पहले 26 गवाहों की लिस्ट

Published on:
25 Nov 2017 03:03 pm
Also Read
View All

अगली खबर