इस मामले में वरवर राव के वकील ने हैदराबाद हाईकोर्ट में पुणे पुलिस द्वारा पेश की गई ट्रांजिट वारंट को चुनौती दी थी। वकील का कहना था कि ये वारंट मराठी में था और इस कारण इसे निरस्त कर दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने वरवर राव के वकील की दलील को सुनने से इनकार कर दिया था जिसके बाद पुलिस ने शनिवार शाम उन्हें उनके घर से हिरासत में लिया। वरवर राव के भतीजे वेणुगोपाल का कहना है कि ये गैर कानूनी कदम है। शुक्रवार को कोर्ट ने इस ट्रांजिट वारंट पर गौर नहीं किया था। क्योंकि इसकी अवधि खत्म हो गई थी। उनका कहना है कि वारंट की अवधि ही खत्म होने के बाद हिरासत में कैसे लिया जा सकता है? लेकिन शनिवार शाम को पुणे पुलिस हैदराबाद पहुंची और बिना वारंट और हाईकोर्ट के आदेश के उन्हें हिरासत में ले लिया। उनका कहना था कि इसके लिए किसी दस्तावेज की जरूरत नहीं है। ये गैर कानूनी काम है जो पुलिस ने किया है।
आपको बता दें कि इस साल जनवरी में महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा के मामले में पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था जिनमें से एक वरवर राव भी थे। उनके साथ सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, वरनॉन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा को देश के अलग-अलग शहरों से गिरफ़्तार किया गया था। उनकी गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी जिसके बाद कोर्ट ने इन्हें नजरबंद रखने का फैसला सुनाया था।