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2016 में आत्महत्या करनेवाली महिलाओं में 37% भारतीय
अध्ययन के मुताबिक साल 1990 में वैश्विक आत्महत्या की मौतों में भारत का योगदान 25.3 प्रतिशत से बढ़कर 2016 में 36.6 प्रतिशत हो गया हैं। शोध के मुताबिक आत्महत्या करने वाली महिलाओं में शादीशुदा महिलाओं की संख्या का प्रतिशत सबसे अधिक है। उन्होंने इसके पीछे का कारण कम उम्र में शादी होना, अरेंज मैरिज, कम उम्र में मां बनना या फिर घरेलू हिंस बताया गया है। अपने शोध में उन्होंने महिलाओं की सामाजिक स्थिति और तनाव जैसी परेशानियों को भी शामिल किया।
आत्महत्या की एक वजह आर्थिक रुप से आत्मनिर्भर नहीं होना भी
अध्ययन के अनुसार आत्महत्या करने के पीछे की अन्य वजह आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं होने के कारण भी महिलाओं में असुरक्षा भाव हो सकता है। बता दें कि भारत में ज्यादातर महिलाओं के पास जागरूकता का अभाव है और वह मानसिक तनाव से उबर भी नहीं पाती। उन्होंने कहा कि ये सभी कारण संगठित रूप से महिलाओं की आत्महत्या का कारण हो सकता है।
इन राज्यों में हुई सबसे ज्यादा आत्महत्या
एक शोध के मुताबिक, 1990 से 2016 के बीच आत्महत्या के आंकड़ों में 40% तक की वृद्धि हुई है। साल 2016 में भारत में अनुमानित तौर पर 2,30,314 लोगों ने आत्महत्या की। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तमिलनाडु, और त्रिपुरा जैसे राज्य में आत्महत्या का प्रतिशत सबसे अधिक है। वहीं, केरल और छत्तीसगढ़ में पुरुष सबसे ज्यादा आत्महत्या करते हैं। शोध की माने तो भारत में प्रति 1 लाख महिलाओं में से 15 महिलाएं आत्महत्या कर रही हैं। 1990 की तुलना में 2016 में यह आंकड़े दोगुने से भी अधिक पहुंच गए हैं। इस पर लगाम लगाने की जरूरत है। साथ ही महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ जागरूक करने की आवश्यकता है।