scriptउसकी आत्मा मुझे बुला रही है, मेरे कानों में उसकी आवाज गूंजती है… लिखकर मददगार सौरभ चला गया | Nagpur: Engineering student suicide, haunted by a dead boys soul voice | Patrika News

उसकी आत्मा मुझे बुला रही है, मेरे कानों में उसकी आवाज गूंजती है… लिखकर मददगार सौरभ चला गया

locationनई दिल्लीPublished: Oct 16, 2018 01:28:57 pm

महाराष्ट्र के नागपुर में रहने वाले इंजीनियरिंग स्टूडेंट सौरभ नागपुरकर (19) ने आत्महत्या करने से पहले लिखे सुइसाइड नोट में कुछ ऐसी ही बात लिखी थी।

Saurabh Nagpurkar

उसकी आत्मा मुझे बुला रही है, मेरे कानों में उसकी आवाज गूंजती है… लिखकर मददगार सौरभ चला गया

मुंबई। …मेरी आंखों के सामने आज भी वो मंजर घूमता है। वो छोटा बच्चा था। उसकी इतनी जल्दी मौत नहीं होनी चाहिए थी। बेचारा मासूम मेरी आंखों के सामने एक्सीडेंट में अपनी जान गवां बैठा। वो घटना मुझे भूले नहीं भूलती है। कुछ तो है कि बाद में मेरा भी वहीं पर एक्सीडेंट हो गया। उसकी आत्मा रोज मुझे बुलाती है और उसकी बचाओ-बचाओ की आवाज मेरी कानों में हर वक्त गूंजती है। मैं चाहकर भी उसका कहा नहीं टाल सकता। इसलिए जा रहा हूं। मम्मी-पापा मुझे प्लीज माफ कर दीजिएगा… दीदी आप बहुत अच्छी हैं.. प्लीज मम्मी-पापा का ध्यान रखिएगा… महाराष्ट्र के नागपुर में रहने वाले इंजीनियरिंग स्टूडेंट सौरभ नागपुरकर (19) ने आत्महत्या करने से पहले सुइसाइड नोट में कुछ ऐसी ही बात लिखी थीं।
घटना महाराष्ट्र के नागपुर की है और बेहद चौंकाने वाली है। एक 19 साल का किशोर सौरभ नागपुरकर जिसकी आंखों में सुनहरे भविष्य और बेहतरीन जिंदगी के सपने हैं। वो अच्छा करियर बनाने के लिए प्रियदर्शिनी भगवती कॉलेज में इंजीनियरिंग में एडमिशन लेता है और मेहनत से पढ़ाई करता है। पिता एनसीसी में काम करते हैं और बड़ी बहन कॉस्मेटोलॉजिस्ट है। सौरभ की एक कमी है कि वो दूसरो का दर्द नहीं देख पाता और समाज में फैली ऊंच-नीच उसे थोड़ा झकझोरती है। दिल से वह लोगों का दर्द समझता है।
सौरभ अब तुम इस दुनिया से चले गए हो। शायद तुम्हें पता चल गया होगा कि उस बच्चे की आत्मा तुमसे कभी नहीं मिली। यह केवल तुम्हारा भ्रम था, जिसने तुम्हें अपनों से दूर कर दिया। तुमने अपने दर्द को मां-बाप, बहन और दोस्तों से नहीं बांटा। तुमने उन्हें नहीं बताया कि तुम्हें उस बच्चे की आत्मा अपने पास बुलाती है। तुम्हें उसकी आवाजें सुनाई देती हैं। अपनी जिंदगी खत्म करके तुमने भले ही उस बच्चे की पुकार तो सुन ली हो, लेकिन अपने मां-बाप-बहन-दोस्तों-रिश्तेदारों की परवाह नहीं की जो हर वक्त तुम्हें पुकारते थे। तुम उनसे अब इतनी दूर चले गए हो कि उनकी पुकार तुम तक नहीं पहुंच पाएगी। अच्छा होता कि तुम एक्सीडेंट में मरने वाले मासूम बच्चे की आत्मा से इसी दुनिया में कह देते कि सॉरी, मैं कुछ कर नहीं पाया। लेकिन मैं अच्छा इंजीनियर बनकर जरूर कुछ ऐसा ईजाद करूंगा जिससे भविष्य में उस जैसे बच्चे सड़क हादसों में मौत का शिकार न हों।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो