घटना महाराष्ट्र के नागपुर की है और बेहद चौंकाने वाली है। एक 19 साल का किशोर सौरभ नागपुरकर जिसकी आंखों में सुनहरे भविष्य और बेहतरीन जिंदगी के सपने हैं। वो अच्छा करियर बनाने के लिए प्रियदर्शिनी भगवती कॉलेज में इंजीनियरिंग में एडमिशन लेता है और मेहनत से पढ़ाई करता है। पिता एनसीसी में काम करते हैं और बड़ी बहन कॉस्मेटोलॉजिस्ट है। सौरभ की एक कमी है कि वो दूसरो का दर्द नहीं देख पाता और समाज में फैली ऊंच-नीच उसे थोड़ा झकझोरती है। दिल से वह लोगों का दर्द समझता है।
बच्चे का चेहरा उसकी आंखों के सामने घूमता है और वो बार-बार उसे बुलाता है। कुछ ही दिन गुजरते हैं कि सौरभ का भी ठीक उसी जगह एक्सीडेंट हो जाता है। अब तो सौरभ को पक्का यकीन हो जाता है कि इस जगह और बच्चे से उसका कुछ कनेक्शन है। सौरभ बार-बार बच्चे की आती आवाज और चेहरे को लेेकर संजीदा हो जाता है और अपनी बड़ी बहन का दुपट्टा लेकर अपने बेडरूम में फांसी लगाकर जिंदगी को अलविदा कह जाता है।
खुदकुशी से पहले वो अपनी दादी के नोटपैड पर मराठी में दो पन्नों को सुइसाइड नोट भी लिखता है और इसे अपनी जींस की जेब में रख लेता है। इस सुइसाइड नोट में वो कई बार लिखता है, ‘बच्चे की आत्मा उसे बुला रही है… उसकी चीखें बार-बार सुनाई देती हैं और वो मंजर आंखों के सामने घूमता रहता है।’
रविवार को उसने ‘बच्चे की आत्मा की आवाज सुनते हुए’ उसके पास पहुंचने के लिए अपनी जिंदगी खत्म कर ली। मां-बाप के इकलौते लड़के की मौत से सभी को हैरानी हुई। घरवाले बुत से बन गए। पुलिस को खबर मिली तो उसने जांच की और शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया। सोमवार को मायो हॉस्पिटल से जब पोस्टमार्टम के बाद घर पर शव पहुंचा तो मा ऐश्वर्या बेसुध और बदहवास थी। पिता की आंखें सूखी और शून्य में देखती नजर आईं। बड़ी बहन अश्लेषा को समझ ही नहीं आ रहा था कि उसका इकलौता भाई इस दुनिया से चला गया और अब वो रक्षाबंधन में किसकी कलाई पर राखी बांधेगी, किससे अपना दर्द बांटेगी।