
खुलासा: देश में 2,874 में से 54 ही सही, रह रहे बच्चों का कोई रिकॉर्ड नहीं
नई दिल्ली। बिहार के मुजफ्फरपुर में शेल्टर होम दुष्कर्म केस ने पूरे देश में हड़कंप मचा दिया है। आलम यह है कि मुजफ्फरपुर की घटना के बाद शेल्टर होम को लेकर देश भर में बहस छिड़ गई है। इस बीच शेल्टर होम की स्थिति को लेकर जारी हुई रिपोर्ट ने सरकार और प्रशासन को बैकफुट पर ला दिया है। राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा समिति (एनसीपीसीआर) की एक सोशल ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि देश के बाल गृहों की स्थिति काफी भयावह है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश की गई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अधिकांश बाल पोषण गृह नियम कायदों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
यह रिपोर्ट एनसीपीसीआर की ओर से एडवोकेट अनिंदिता पुजारी को सौंपी गई है। रिपोर्ट के अनुसार प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि ऐसे कुछ एक ही बाल गृह हैं जो मानकों का पालन कर रहे हैं। यही नहीं कई जांच समितियों ने जांच में पाया कि इन बाल गृहों में दस्तावेज तैयार नहीं किए जा रहे हैं। आपकों बता दें कि बीते दिनों बिहार के मुजफ्फरपुर और उसके बाद उत्तर प्रदेश में बालिका गृह में बच्चियों के यौन उत्पीड़न के बाद सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के बालगृहों का आॅडिट कराने का आदेश दिया था। एनसीपीसीआर के अनुसार अब तक कुल 2,874 बाल आश्रय गृहों में से केवल 54 की ही रिपोर्ट सकारात्मक पाई गई है। जबकि ऑडिट किए गए 185 शेल्टर होम्स में से केवल 19 में ही रह रहे बच्चों के दस्तावेज मिल पाए हैं।
आपको बता दें कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में बच्चियों की मेडिकल रिपोर्ट से खुलासा हुआ था कि शेल्टर हाउस में रहने वालीं 42 में से 24 लड़कियों के साथ दुष्कर्म और मारपीट की गई थी। यही नहीं उनको नशीली दवाएं खिलाकर तरह-तरह की यातनाएं भी दी जाती थी। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार लंबे समय तक हुए दुष्कर्म के कारण चार बच्चियां गर्भवती हो गई थीं। यही नहीं बच्चियों के गर्भवती होने की जानकारी पर उनका जबरन गर्भपात भी कराया गया।
Updated on:
29 Aug 2018 09:26 am
Published on:
29 Aug 2018 08:22 am
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