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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आरोपी ने पुनर्विचार याचिका में दलिले रखते हुए कहा कि दिल्ली में हवा-पानी जहरीली हो चुकी हैं। यहां के लोग प्रदूषण से मर रहे हैं। ऐसे में फिर मुझे फांसी की सजा क्यों दी जा रही हैं।
दोषी अक्षय ने याचिका में लिखा कि दिल्ली में वायु प्रदुषण खतरनाक स्तर पर है। पूरी दिल्ली गैस चैंबर में तब्दील हो चुकी है। ऐसी स्थिति में अलग से मृत्यु दंड देने की क्या जरूरत है।
आरोपी का कहना है कि दूषित हवा और पानी की वजह से लोगों की उम्र काफी कम होती जा रही है। बता दें कि अपनी पुनर्विचार याचिका में दोषी ने वेद पुराण और उपनिषद का भी जिक्र किया है। दोषी अक्षय ने कहा कि वेद-पुराण और उपनिषदों में लोगों के हाजारों साल जीवीत रहने का उल्लेख मिलता है।
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धार्मिक ग्रंथों में भी यह लिखा मिला है कि सतयुक में लोग हजारों साल तक जीते थे। त्रेता युग में भी एक आदमी हजार साल जीता था। लेकिन कलयुग में आदमी 50 से 60 साल तक ही जीवीत रह रहा है। ऐसे में फांसी की सजा देने की जरूरत नहीं।