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हर 15 मिनट में एक बच्चा होता है यौन अपराध का शिकार, इसलिए जरूरी है अपराधी को फांसी

12 साल तक की बच्ची से रेप के दोषियों को मौत की सजा देने के प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है।

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Shweta Singh

Apr 21, 2018

POCSO Act

नई दिल्ली। कठुआ, सूरत और उन्नाव में हुए रेप के जघन्य मामलों से पूरे देश में आक्रोश है। इन मामलों के विरोध सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी हो रहा है। बीते सप्ताह न्यूयॉर्क में इन मामलों के लिए शीघ्र इंसाफ की मांग के लिए जस्टिस रैली निकाली गई। बच्चों के हितों की रक्षा के लिए काम करने वाली संस्था और यूएन ने भी इस वारदात की कड़ी निंदा की है। इसी बीच बच्चों के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन क्राई (चाइल्ड राइट्स एंड यू) देश को शर्मसार कर देने वाली रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया कि देश में हर 15 मिनट में एक बालक / बालिका यौन अपराध का शिकार होती है। इन्हीं कारणों से बच्चों से यौन हिंसा के मामले में फांसी की सजा की मांग की गई।

रेप के दोषियों को मौत की सजा
शनिवार को 12 साल तक की बच्ची से रेप के दोषियों को मौत की सजा देने के प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। अब इससे संबंध में सरकार अध्यादेश लाएगी। बता दें कि सिर्फ 3 साल में (2014 से 2016 तक) में लगभग 1 लाख से ज्यादा नाबालिगों के साथ रेप या गैंगरेप की घटनाएं सामने आई। शर्मनाक तो ये है कि इन मामलों से जुड़े कुल अपराधियों में से सिर्फ 11, 266 लोगों को ही सजा मिली है, जबकि ऐसे मामलों में अरेस्ट हुए या संलिप्त होने की संख्या इससे कहीं अधिक है।

बड़े राज्यों में बदतर हालात
वहीं क्राई की रिपोर्ट के अनुसार बाल यौन अपराध के मामले में देश के सबसे बड़े राज्य की स्थिति सबसे बदतर है। क्राई ने देश में सभी तरह के बाल यौन अपराधों के लिए पांच प्रमुख राज्यों की सूची भी जारी की है जिसमें उत्तर प्रदेश 14 फीसदी मामलों के साथ सर्वाधिक बाल यौन अपराध वाला राज्य है। यही नहीं क्राई के मुताबिक पिछले 10 वर्षों में बाल यौन अपराध में 500 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2006 में जहां इस तरह के 18,967 मामले हुए थे वहीं वर्ष 2016 में यह संख्या बढ़कर 1,06,958 पर पहुंच गई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वर्ष 2012 से 16 के दौरान इसमें तीव्र बढोतरी हुई है जबकि वर्ष 2006-11 के दौरान कुछ ये रफ्तार कुछ कम हुई थी।

हर 15 मिनट में होता है बच्चों के साथ यौन अपराध
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2015-16 के दौरान इस तरह के मामलों में 14 फीसदी की बढोतरी हुई है। पोस्को के आंकड़ों के अनुसार देश में होने वाले सभी तरह के बाल अपराध में यौन अपराध की हिस्सेदारी एक तिहाई रही है और हर 15 मिनट में एक बालक/ बालिका के साथ यौन अपराध होता है। पिछले पांच वर्षों में बाल यौन अपराध में 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके अनुसार वर्ष 2016 में बाल अपराध में बलात्कार की हिस्सेदारी 18 फीसदी है जबकि अपरहण और चोरी की कुल हिस्सेदारी 51.1 प्रतिशत है।