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जबलपुर। अज्ञात वाहनों की टक्कर से घायल और मरने वालों के परिजनों को आर्थिक मदद उपलब्ध कराए जाने के लिए शासन द्वारा सोलेशियम फंड योजना शुरु की गई हो,लेकिन जिले की पुलिस और प्रशासन इस योजना का लाभ पीडि़त परिवारों को दिलाने में रुचि नहीं ले रहा है। आलम ये है कि पिछले डेढ़ वर्षों से 16 प्रकरण जिला प्रशासन के पास लम्बित है।
यही वजह है कि सोलेशियम फंड का लाभ अभी तक जिले के किसी भी व्यक्ति को नहीं मिल सका है। खास बात यह है कि जिले में पिछले साढ़े चार वर्ष में अज्ञात वाहनों की टक्कर के 43 लोगों की मौत हो गई। जबकि इससे अधिक अधिक लोग घायल भी हुए। लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण इन हादसों के एक भी पीडि़त को इस योजना के तहत राहत नहीं मिल सकी।
क्या है सोलेशियम फंड
एक्सीडेंट के जिन मामलों में आरोपी वाहन चालकों को पता नहीं लगता,उन मामलों में मृत होने वाले लोगों के परिजनों और घायल होने वाले लोगों को सोलेशियम फंड के तहत आर्थिक सहायता दिए जाने का प्रावधान है। सोलेशियम फंड के तहत मिलने वाली मदद के लिए सम्बंधित थाना पुलिस को प्रकरण बनाकर जिला प्रशासन की ओर भेजना पड़ता है। इसके बाद प्रशासन के द्वारा संबंधितों को सोलेशियम फंड के तहत राहत प्रदान करने की जाती है।
साढ़े चार साल में 43 हादसे
पुलिस विभाग के सूत्रों के मुताबिक जिले में साढ़े चार साल के दौरान 43 एक्सीडेंट के मामले घटित हुए है, इसमें पुलिस एक्सीडेंट करने वाले वाहन और उनके चालकों का पता नहीं कर सकी है। जबकि सोलेशियम फंड के तहत गम्भीर घायल होने पर 50 हजार, मृत्यु होने पर एक लाख रुपए और हिट एंड रन केस में ढाई लाख तक की आर्थिक मदद का प्रावधान है।
इस तरह हादसे आए सामने-
वर्ष 2016 में 17 एक्सीडेंट
वर्ष 2017 में 13 एक्सीडेंट
वर्ष 2018 में 07 एक्सीडेंट
वर्ष 2019 में 05 एक्सीडेंट
वर्ष 2020 में 25 जून तक 11 एक्सीडेंट
वर्जन-
जिले में हर वर्ष तीन हजार से अधिक सडक़ हादसे होते हैं। इसमें चार सौ के लगभग मौत होती है। वहीं दो हजार गम्भीर रूप से घायल होते हैं। कई हादसों में वाहन का पता नहीं चल पाता है। सोलेशियम फंड के तहत ऐसे पीडि़त परिवारों को आर्थिक मदद दिलाएंगे।
सिद्धार्थ बहुगुणा, एसपी
Published on:
07 Jul 2020 11:23 am
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