
The injured laborer from Gohata's bite, after the investigation, the relatives are stranded, on the pedestrian ward
गुरुग्राम। वन विभाग ने गोह (विशालकाय छिपकली) के अंगों का अवैध कारोबार करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। शुक्रवार को वन विभाग के अधिकारी गोह ( Monitor Lizard India ) के अंगों को खरीदने वाले ग्राहक बनकर पहुंचे और सेक्टर 45 निवासी एक व्यक्ति को उसके साथी के साथ धरा। इनके पास से आठ गोह के अंग बरामद किए गए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वन विभाग को गोह के अवैध कारोबार की सूचना दिल्ली में वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो से मिली थी। इसके बाद एक अधिकारी ने फर्जी ग्राहक बनकर अनिल अहलावत को फोन किया।
सेक्टर 45 निवासी अनिल अहलावत अपने घर से वास्तु शास्त्र और ज्योतिष का काम करता है। फोन पर फर्जी ग्राहक के रूप में वन विभाग के अधिकारी ने अनिल से गोह के अंगों की मांग की।
पूछताछ के दौरान अनिल ने पुलिस को बताया कि उसने इन अंगों के लिए सेक्टर 15 निवासी दनवीर भारद्वाज को फोन किया, जिसने उसे यह मुहैया कराए।
जिला वन अधिकारी सुभाष यादव के मुताबिक, "हमारी टीम के एक सदस्य ने फर्जी ग्राहक बनकर आरोपी को फोन किया। शुरुआत में अहलावत ने कहा कि उसके पास यह (गोह के अंग) नहीं हैं लेकिन उससे कहा गया कि जब कभी उसके पास यह हों, वह बता दे।"
यादव ने आगे कहा, "उससे इन्हें उपलब्ध करवाने के लिए कहने पर उसने सेक्टर 15 निवासी एक व्यक्ति को फोन कर अंगों की मांग की। बाद में अहलावत ने फोन कर इन अंगों को ले जाने के लिए कहा। हमारी टीम ने शुक्रवार को उसे धर लिया। इस दौरान अहलावत के पास से गोह के अंग ( Monitor Lizard in Hindi ) बरामद किए गए, जबकि भारद्वाज के पास से वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की सूची 4 के अंतर्गत शामिल अन्य प्रजातियों के अंग भी बरामद किए गए।"
जानकारी के मुताबिक गोह के शिकार की प्रमुख वजह इसके अंगों को लेकर जुड़ी मान्यताएं हैं।
एक वन्यजीव कार्यकर्ता के मुताबिक पारिस्थिकी तंत्र में गोह की महत्वपूर्ण भूमिका है। ये एक तरह के सफाई करने वाले होते हैं। लेकिन अक्सर इन्हें मांस और झूठी मान्यताओं के चलते मार दिया जाता है।
क्या है गोह
वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक उप-महाद्वीप में बंगाली गोह या गोह या विषखोपरा या विषखापर आमतौर पर पाए जाते हैं।
छिपकली की प्रजाति के इन जीवों को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की सूची 1 के अंतर्गत संरक्षित किया गया है। इसका या इसके शरीर के अंगों का किसी भी तरह का व्यापार अपराध की श्रेणी में आता है।
यह पार्कों, जंगलों, दूर-दराज के इलाकों में पाए जाते हैं। इनका भोजन मृत जानवर, छोटे स्तनधारी जीव, पक्षी, चूहे-गिलहरी, कीड़े-मकोड़े होते हैं।
Updated on:
28 Jul 2019 08:00 pm
Published on:
28 Jul 2019 07:58 pm
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