जानकारी के अनुसार कुछ ऐसे पुलिसकर्मी क्वार्टर में रह रहे हैं, जिनके पास पहले से निजी मकान मौजूद हैं या जिन्हें विभागीय आवास की वास्तव में आवश्यकता नहीं है।वहीं दूसरी ओर दूर दराज से ड्यूटी पर आने वाले और आर्थिक रूप से कमजोर पुलिसकर्मी आज भी क्वार्टर पाने के लिए भटक रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि क्वार्टर आवंटन में सिफारिश का बोलबाला है, जिससे वास्तविक जरूरतमंद कर्मचारी उपेक्षित रह जाते हैं।
कुछ पुलिस कर्मियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन्होंने समय पर आवेदन किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जबकि कुछ लोगों को बिना वेटिंग लिस्ट के ही क्वार्टर दे दिया गया।बहरहाल, मामले में एडिशनल एसपी संदीप मिश्रा से संपर्क किया गया, तो उन्होंने बताया कि वे वर्तमान में छुट्टी पर हैं और इस मामले को लौटने के बाद देखेंगे। उन्होंने कहा कि यदि कोई शिकायत मिलती है, तो कार्रवाई की जाएगी।
इधर, किराए के मकानों में रहने को मजबूर जवान क्वार्टर न मिलने से कई जवान और उनके परिवारजन निजी मकानों में किराए पर रहने को मजबूर हैं, जिससे उन पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। ड्यूटी के बाद दूर-दराज से सफर करने के कारण उनके कार्यक्षमता पर भी असर पड़ रहा है।