
रूपनाथ धाम
दमोह. जिले की सीमा सटे रूपनाथ धाम में मौजूद एक सुरंगी रास्ता है, बताया जाता है कि यह रास्ता बांदकपुर के जागेश्वरधाम तक पहुंचता है। हालांकि यह रास्ता कई वर्षों से बंद है। लोगों को सुरंगी गुफा के भीतर जाना प्रतिबंधित है। एक ओर जहां रूपनाथ अर्थात भगवान भोलेनाथ का मंदिर है तो वहीं दूसरी ओर यहां श्रीराम, सीता व लक्ष्मण नाम के तीन कुंड भी हैं, जिनमें जल स्तर बारह महीनों बना रहता है। वहीं रूपनाथ धाम प्राकृतिक सौंदर्य से भी भरपूर है। इसके अलावा यहां पर पुरात्तव की धरोहरें भी हैं। सम्राट अशोक के यहां कई दिनों तक रहने के साक्ष्य भी यहां पर मौजूद हैं। यह पूरा स्थल पुरात्तव विभाग के अधीन है।
दमोह जिले की सीमा से सटे रूपनाथधाम में इन दिनों सावन माह के चलते भक्तों का तांता लगा हुआ है। दूर दूर से लोग यहां भगवान शिव के दर्शनों के लिए पहुंच रहे हैं। बोहरीबंद तहसील क्षेत्र अंतर्गत रूपनाथ धाम को लेकर एक धार्मिक किवदंती भी यह है कि यहां भगवान शिव की बारात रूकी थी। बारातिायों की प्यास बुझाने के लिए भगवान शिव की कृपा से यहां तीन कुंड निर्मित हुए थे जिन्हें आज श्रीराम कुंंड, सीता कुंड व लक्ष्मण कुंड के नाम से जाना जाता है। यह तीनों कुंड एक इमारत के पहले, दूसरे व तीसरे तल की तरह हैं।
इस स्थान पर प्राकृतिक सौंदर्य की छटा भी चारों ओर बिखरी हुई है। जहां एक ओर यहां धार्मिक आस्था से जुड़े लोग पहुंचते हैं तो वहीं दूसरी ओर सैलानियों का भी यहां आना जाना बना ही रहता है। वहीं यहां पर अशोक सम्राट के रहने के निशान और विशेष लिपि में लिखे गए शिलालेख पुरात्व की कहानी बखान रहे हैं।
दमोह जिला मुख्यालय से दमोह-जबलपुर स्टेट हाइवे से जबेरा होकर गुबरा पहुंचा जाता है और फिर मझौली के रास्ते चलकर करीब ७ किलोमीटर दूर पहुंचने के बाद सिंगपुर गांव से होकर सीधा रूपनाथ धाम पहुंचा जा सकता है।
Published on:
14 Aug 2018 01:34 pm
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