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आबकारी विभाग की चुप्पी, इधर, सरकारी दुकानों से जुड़े शराब तस्करी के तार

जिले में अवैध शराब तस्करी का गोरखधंधा तेजी से पैर पसार रहा है। हालात यह हैं कि दमोह जिला अब इस काले कारोबार का प्रमुख जंक्शन बन गया है

दमोह. जिले में अवैध शराब तस्करी का गोरखधंधा तेजी से पैर पसार रहा है। हालात यह हैं कि दमोह जिला अब इस काले कारोबार का प्रमुख जंक्शन बन गया है, जहां से रोजाना सैकड़ों लीटर अवैध शराब आसपास के जिलों में भेजी जा रही है।पिछले कुछ महीनों में पुलिस ने लगातार छापे मारकर हजारों लीटर अवैध शराब जब्त की है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि शराब माफियाओं का नेटवर्क जिले में गहराई तक फैला हुआ है। हैरानी की बात यह है कि इन माफियाओं के पीछे के चेहरे कोई और नहीं, बल्कि कुछ शराब ठेकेदार ही बताए जा रहे हैं, जो सरकारी लाइसेंस की आड़ में अवैध तस्करी को अंजाम दे रहे हैं।

आबकारी विभाग की भूमिका सवालों के घेरे में

जहां एक ओर पुलिस अपनी सक्रियता दिखा रही है, वहीं आबकारी विभाग की निष्क्रियता और उदासीनता ने माफियाओं को खुली छूट दे दी है। आरोप है कि विभाग केवल लाइसेंसी दुकानों से टैक्स वसूली तक सीमित है, जबकि अवैध शराब पर कार्रवाई को लेकर चुप्पी साधे हुए है।सूत्रों का कहना है कि यह चुप्पी जानबूझकर और मिलीभगत के तहत है, जिससे तस्करों को अप्रत्यक्ष संरक्षण मिल रहा है। बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या आबकारी विभाग इस पूरे तंत्र का हिस्सा बन चुका है, या वास्तव में इस अवैध कारोबार से अनजान बना हुआ है।

सस्ती दरों पर बिक रही अवैध शराब

जानकारों के मुताबिक दमोह में अन्य शहरों की बजाय शराब सरकारी रेट से 40-50 प्रतिशत तक सस्ती मिल रही है, जबकि अन्य जिलों में यह अंतर महज 10-20 प्रतिशत तक होता है। यही कारण है कि दमोह से अन्य जिलों में बड़े पैमाने पर सप्लाई हो रही है।

वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में कच्ची शराब का धंधा भी जोरों पर है। कई जगहों पर देशी शराब का निर्माण खुलेआम हो रहा है, लेकिन आबकारी विभाग की नियमित जांच होती है, न ही कोई प्रभावी रणनीति नजर आती है।

ठेकेदारों को लाभ, जिम्मेदारों को कमीशन

कुछ ठेकेदार सरकारी दुकान की तुलना में ज्यादा मुनाफा अवैध शराब से कमा रहे हैं, जबकि सूत्रों की मानें, तो आबकारी अमला कमीशन लेकर आंखें मूंदे बैठा है। वहीं, बाहर के तस्कर दमोह से शराब खरीदकर ऊंचे दामों पर बेचकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।

अवैध शराब के खिलाफ पुलिस की प्रमुख कार्रवाइयां

अप्रैल: पटेरा थाना अंतर्गत एक घर से 65 पेटी शराब जब्त।

अप्रैल: कुंडलपुर मार्ग पर ट्रक से 698 पेटी शराब पकड़ी गई।मई: देहात थाना क्षेत्र में 60 लीटर कच्ची शराब और 310 किलो महुआ लहान बरामद।

10 जून: जबेरा पुलिस ने फोरव्हीलर से 49 पेटी शराब पकड़ी।3 जून: तेजगढ़ में कार से 30 पेटी शराब जब्त।

12 जून: देहात थाना पुलिस ने ऑटो से 20 पेटी शराब पकड़ी।

पत्रिका व्यू

जिले में अवैध शराब का कारोबार खुलेआम फल फूल रहा है। पुलिस की कार्रवाई सीमित है, और आबकारी विभाग की चुप्पी ने पूरे सिस्टम को कठघरे में खड़ा कर दिया है। यदि जल्द सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो यह कारोबार और गहराएगा, जिससे कानून-व्यवस्था के साथ सामाजिक तानाबाना भी प्रभावित होगा।

वर्जनकहीं भी अवैध शराब की खबर मिलती है, टीम को भेजते हैं। विभाग द्वारा कार्रवाई की जा रहीं हैं।

रविंद्र खरे, जिला आबकारी अधिकारी