
जेल (Photo source- Patrika)
CG News: दंतेवाड़ा जिला न्यायालय ने एक दशक पुराने करोड़ों के भ्रष्टाचार मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। लोक निर्माण विभाग सुकमा में पदस्थ रहे दो शासकीय अधिकारियों चोवाराम पिस्दा और ज्ञानेश कुमार तारम को न्यायालय ने दोषी पाते हुए सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। दोनों अधिकारियों पर ठेकेदार से सांठगांठ कर माप पुस्तिका में फर्जीवाड़ा कर 2.84 करोड़ रुपये का अवैध भुगतान कराने का गंभीर आरोप सिद्ध हुआ है।
यह प्रकरण वर्ष 2010-11 का है, जब एलडब्ल्यूई योजना के अंतर्गत सुकमा जिले के चिंतलनार से मरईगुड़ा तक सड़क निर्माण कार्य का ठेका नीरिज सीमेंट स्ट्रक्चर लिमिटेड, मुंबई के अधिकृत ठेकेदार मदिना मोहमद को दिया गया था। कार्यपालक अभियंता चोवाराम पिस्दा और उप अभियंता (प्रभारी एसडीओ) ज्ञानेश कुमार तारम ने माप पुस्तिका में कार्य से अधिक माप दर्शाकर फर्जी देयक तैयार किया और ठेकेदार को
2,84,06,785 का अतिरिक्त भुगतान दिलाया।
CG News: मामले की जांच के बाद 5 सितंबर 2012 को एफआईआर दर्ज हुई थी। वर्षों चली कानूनी प्रक्रिया के बाद 29 जुलाई 2019 को न्यायालय में अंतिम प्रतिवेदन (चार्जशीट) प्रस्तुत किया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 19 गवाहों के बयान न्यायालय में प्रस्तुत किए गए। विशेष न्यायाधीश विजय कुमार होता की अदालत ने 16 जुलाई 2025 को फैसला सुनाते हुए दोनों दोषियों को विभिन्न धाराओं के तहत कुल 16 वर्षों की सश्रम कारावास की सजा सुनाई।
Published on:
20 Jul 2025 12:41 pm
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