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हरेली अमावस्या पर मां दंतेश्वरी मंदिर प्रांगण में की जा रही पारंपरिक पाट जात्रा पूजा

Hareli Amavasya: विश्वप्रसिद्ध और ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व की आज गुरुवार से विधिवत शुरुआत होगी।

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Hareli Amavasya

Hareli Amavasya: विधिवत शुरुआत: बस्तर दशहरा पर्व की 75 दिवसीय यात्रा की विधिवत शुरुआत गुरुवार, हरेली अमावस्या के दिन मां दंतेश्वरी मंदिर प्रांगण में पारंपरिक पाट जात्रा पूजा से हुई।

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Hareli Amavasya: पाट जात्रा की परंपरा: माचकोट के जंगल से लाई गई विशेष साल वृक्ष की लकड़ी ठुरलू खोटला की पूजा की गई, जो रथ निर्माण की अनुमति हेतु देवी मां दंतेश्वरी को समर्पित होती है।

Hareli Amavasya

Hareli Amavasya: रथ निर्माण की रस्म: पूजा के बाद ठुरलू खोटला रस्म के अंतर्गत रथ निर्माण के लिए औजारों की पूजा की गई, जिससे निर्माण कार्य की शुरुआत मानी जाती है।

Hareli Amavasya

Hareli Amavasya: सांस्कृतिक सहभागिता: मांझी-चालकी, मेम्बर-मेम्बरीन, पुजारी, पटेल, नाईक-पाईक और परंपरागत सेवादारों ने रस्मों में हिस्सा लिया।

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Hareli Amavasya: समिति का आग्रह: बस्तर दशहरा समिति ने सभी ग्रामीणों, जनप्रतिनिधियों और परंपरागत जिम्मेदारों से इस ऐतिहासिक पूजा में सहभागिता का आग्रह किया।

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Hareli Amavasya: पर्व की विशेषता: यह पर्व रावण दहन नहीं बल्कि मां दंतेश्वरी देवी की आराधना, प्रकृति पूजन और आदिवासी संस्कृति के समर्पण का प्रतीक है, जो बस्तर की अनूठी पहचान बनाता है।