
चेचक आने पर पीडि़त को राहत दिलाने ले जाते हैं मंदिर से जल का प्रसाद
दंतेवाड़ा। Chhattisgarh News: पौराणिक मंदिर शीतला मंदिर में माता शीतला की पूजा विशेष अवसर पर की जाती है। किवदंती है कि बड़ी माता (चेचक) आती है तो यहां से प्रसाद स्वरूप जल ले जाया जाता है सामान्य प्रकार की शरीर में माता (चेचक,आती है उसके लिए यहां से जल का प्रसाद दिया जाता है। पीडि़त व्यक्ति के घर पर जाकर पूजा अनुष्ठान किया जाता है । सबसे दाहिने साइड में जो माताजी हैं उन्हें बोरिया माता कहा जाता है और उसके बाद मूसरिया माता की प्रतिमा दिखाई दे रही है।
आदिकाल से दंतेवाड़ा नगर के मां शीतला मंदिर में शरीर में जो खुजली नुमा माता का आकृति बनता है उसके लिए यहां जल का प्रसाद दिया जाता है। मंगलवार और शुक्रवार को यहां पूजा की जाती है । पुजारी महेश पेरमा ने बताया कि माता की महिमा ऐसी है कि जो भी शरीर में कष्ट लेकर आता है यहां के पूजा प्रसाद से माता उसके सारे कष्ट हर लेती है । दंतेश्वरी मां जब वारंगल से दंतेवाड़ा प्रस्थान करी, तब सर्वप्रथम शीतला मां के अनुमति के बाद ही दंतेवाड़ा में विराजमान हुई। स्थानीय हलबा समाज के वरिष्ठ परदेसी रामनाग ने बताया कि माता की लीला अपरंपार है यहां के आसपास के सुदूर ग्रामीण अंचलों के लोग ही नहीं दूरदराज से भी माता शीतला के दर्शन को लोग आते हैं। माता का एरिया 84 गांव के परगन इनका क्षेत्र है। सप्ताह के प्रत्येक मंगलवार एवं शुक्रवार को मां शीतला की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। नाग परिवार के लोग जिन्हें आम जनमानस में प्रेमा पुजारी का दर्जा दिया गया है। इस समाज के लोगों का मां दंतेश्वरी और मां शीतला मंदिर में विशेष दर्जा प्राप्त है।
Published on:
24 Oct 2023 08:18 am
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