
धरना देते लोग व इनसेट में मृतक राजेंद्र। फोटो: पत्रिका
दौसा। पुलिस उप निरीक्षक परीक्षा-2021 में चयनित राजेंद्र सैनी का शव दो दिन से सरकारी अस्पताल की मोर्चरी में रखा हुआ है। लेकिन, परिजनों ने अब तक शव नहीं उठाया है। संविदा पर नौकरी और राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि पर सहमति के बाद भी परिजन 5 करोड़ के मुआवजे की मांग पर अड़े हुए है। ऐसे में लगातार दूसरे दिन भी परिजनों का धरना जारी है।
बता दें कि दौसा शहर के जड़ाव फाटक के समीप सोमवार रात मालगाड़ी की चपेट में आने से पुलिस उप निरीक्षक परीक्षा-2021 में चयनित राजेंद्र सैनी (30) निवासी वल्लभगढ़ भरतपुर की मौत हो गई थी। मंगलवार को जिला अस्पताल में परिजन शव का पोस्टमार्टम कराने को तैयार नहीं हुए। बड़ी संख्या में ग्रामीण, परिजन व सैनी समाज के लोग जुट गए तथा सरकार के रवैये के कारण ट्रेनी एसआई के अवसाद में होने का आरोप लगाया। अस्पताल परिसर में धरना शुरू कर दिया, जो बुधवार को दोपहर बाद भी जारी है।
देर रात तक पुलिस, प्रशासन व जीआरपी के अधिकारी समझाइश करने में जुटे रहे। इस दौरान संविदा पर नौकरी और राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि पर सहमति बनी। लेकिन, परिजन 5 करोड़ मुआवजे सहित छह सूत्री मांगों पर अड़े हुए है।
परिजनों और धरने पर बैठे लेागों को कहना है कि जब तक सभी मांगें पूरी नही होगी, तब तक शव नहीं लेंगे। अस्पताल में दौसा सांसद मुरारीलाल मीना, विधायक दीनदयाल बैरवा, फुले ब्रिग्रेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष सीपी सैनी, जिला प्रमुख हीरालाल सैनी सहित कई नेता व सैनी समाज के लोग पहुंचे तथा भर्ती मामले को लेकर सरकार पर निशाना साधा।
परिजनों व ग्रामीणों ने ज्ञापन देकर सरकार से मृतक उपनिरीक्षक के परिवार को समान पे ग्रेड पर अनुकंपा नियुक्ति देने, मानसिक प्रताड़ना के चलते हत्या होने को लेकर जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने, परिवार को 5 करोड़ का आर्थिक मुआवजा, पांच बीघा खेती की जमीन, राजकीय समान के साथ अंत्येष्टि आदि मांग की।
सब-इंस्पेक्टर परीक्षा- 2021 में चयनित ट्रेनी एसआई राजेंद्र सैनी की मौत होने के मामले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण व दुखद घटना है। सरकार की अनिर्णय स्थिति से बने सिस्टम ने हत्या की है, अगर सरकार उचित निर्णय लेती तो वह थानेदार जिंदा होता।
फुले ब्रिग्रेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष सीपी सैनी ने बताया कि मृतक एसआइ के परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर है। गांव में कच्चा मकान है। 6 भाई और 2 बहन हैं, राजेन्द्र चौथे नंबर का था। उन्होंने बताया कि परिवार में राजेन्द्र पढ़ाई में होशियार था। अन्य कई परीक्षाओं में पास हुआ, लेकिन उसने एसआइ की नौकरी चुनी। अब भर्ती को लेकर चल रहे विवाद से अवसाद में था। परिवार उसकी तनवाह पर निर्भर था। दौसा भी वह छोटे भाई को पैसे देने आया था। मृतक एसआई के रिश्तेदार ने बताया कि जिस दिन से परीक्षा रद्द हुई थी, वह डिप्रेशन में था। उसने कहा था कि अब या तो परीक्षा रहेगी या फिर मैं।
Updated on:
17 Sept 2025 04:52 pm
Published on:
17 Sept 2025 02:48 pm
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