
गाढ़ा हरे रंग का हुआ मोरेल बांध का पानी (फोटो-पत्रिका)
दौसा। लालसोट उपखंड क्षेत्र में स्थित एशिया के सबसे बड़े कच्चे बांध का पानी पूरी तरह प्रदूषित हो गया है। जयपुर के सांगानेर क्षेत्र में स्थित रंगाई-छपाई कारखानों से निकलने वाला जहरीला पानी बीते कई सालों से मोरेल नदी के रास्ते बांध तक पहुंच रहा है, जिससे यह संकट उत्पन्न हुआ है। सर्दियों में हजारों प्रवासी पक्षियों का बसेरा बनने वाला मोरेल बांध इस बार प्रदूषण के कारण सूना नजर आ रहा है। स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों ने बार-बार चेतावनी दी है, लेकिन जिम्मेदार अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठा पाए हैं।
राजेश पायलट राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय लालसोट के प्राचार्य प्रोफेसर सुभाष पहाड़िया ने बताया कि मोरेल बांध केवल दौसा जिले का ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश का प्रमुख प्रवासी पक्षी स्थल है।
अक्टूबर से फरवरी तक ग्रेट व्हाइट पेलिकॉन, रोजी स्टार्लिंग, कॉमन टील, पेंटेड स्टॉर्क, लैपविंग, ओपनबिल स्टॉर्क, सेंडरलिंग, ब्लैक टेल्ड गॉडविट, ग्रेटर फ्लेमिंगो, ऑस्प्रे, पाइड एवोसेट, वूली नेक्ड स्टार्क, इंडियन स्कीमर, रिवर टर्न जैसे दुर्लभ पक्षी यहां प्रवास करते हैं। लेकिन इस बार दूषित पानी और दुर्गंध के कारण पक्षियों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है।
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि पिछले कुछ महीनों से बांध का पानी काला, हरा और दुर्गंधयुक्त हो गया है। मछलियां मर रही हैं और जलीय पौधे सड़ रहे हैं। प्रोफेसर पहाड़िया के अनुसार पानी में रंगाई में इस्तेमाल होने वाले रसायन, अमोनिया, आर्सेनिक, सीसा और भारी धातुएं घुल चुकी हैं, जो जलीय जीवों, पक्षियों और मनुष्यों के लिए भी हानिकारक हैं।
प्रोफेसर ने चेताया कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो मोरेल बांध अपनी पारिस्थितिक पहचान खो सकता है। इसके लिए बांध के पानी के नमूने जांच के लिए भेजे जाने और वन विभाग व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सरकारी स्तर पर कार्रवाई की आवश्यकता है।
स्थानीय नागरिक और पक्षी प्रेमियों ने प्रशासन से आग्रह किया है कि सांगानेर के औद्योगिक अपशिष्ट को मोरेल नदी में गिरने से रोका जाए। उन्होंने अपशिष्ट जल शोधन संयंत्र (ईटीपी) लगाने और दोषी इकाइयों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। प्रोफेसर पहाड़िया ने बताया कि पिछले छह वर्षों में मोरेल बांध पर हर वर्ष 20 हजार पक्षियों का शीतकालीन प्रवास दर्ज किया गया, लेकिन इस बार जलीय पक्षियों की संख्या बहुत कम या नगण्य रही। यह बांध दौसा जिले की प्राकृतिक धरोहर और पक्षी पर्यटन का केंद्र रहा है, लेकिन अब प्रदूषण के कारण संकट में है।
जल संसाधन विभाग के सहायक अभियंता चेतराम मीणा ने बताया कि मोरेल बांध तक पहुंच रहे प्रदूषित जल को लेकर विभाग और सरकार के स्तर पर आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। मंत्री स्तर पर भी इस दिशा में रुचि दिखाई जा रही है और जयपुर क्षेत्र में कई स्थानों पर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जा रहे हैं।
Updated on:
08 Nov 2025 04:25 pm
Published on:
08 Nov 2025 04:23 pm
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