
राहुल सिंह
Rajasthan Assembly Election 2023 जयपुर से 65 किलोमीटर दूर दौसा शहर के विकास की झलक देखने के लिए जब शहर में प्रवेश किया तो पुलिया उतरते ही पानी में डूबी सडक़ से सामना हुआ। जब लोगों से इस बारे में पूछा तो बताया गया कि ये हर बारिश का हाल है। थोड़ी सी बारिश में ही सडक़ें लबालब हो जाती हैं। दुकानों और घरों में पानी भर जाता है। राहगीरों की समस्याएं तो पूछो ही मत। जैसे-जैसे हम आगे बढ़े तो समस्याओं की फेहरिस्त भी लंबी होती गई। गांधी तिराहे से निकलते ही पास में अचार की दुकान पर बैठे भांडारेज निवासी महेंद्र से बात की तो वे बोले, दौसा जिला तो बरसों पहले बन गया, लेकिन सुविधा के नाम पर हालात कस्बे जैसे ही हैं। न तो सडक़ें ठीक हैं और न ही सीवर और ड्रेनेज सिस्टम। बारिश आते ही ऐसे हाल हो जाते हैं मानों किसी तालाब के किनारे बैठे हो, घंटों तक पानी नहीं निकलता है। दुकान में कोई ग्राहक घुस नहीं सकता। हमारी तो मजबूरी है, पेट तो पालना ही पड़ेगा। ईसरदा बांध के पानी का इंतजार है, ये काम पूरा हो जाए तो परेशानी दूर होगी। थोड़ा आगे चले तो कुछ युवा बस का इंतजार कर रहे थे, हम उनके पास पहुंच गए और ईआरसीपी के बारे में पूछा कि उन्हें इसकी जानकारी है क्या, तभी बीच में एक छात्र अरुण बोल पड़ा कि मुझे पता है, लेकिन अभी ये शुरू नहीं हो पा रही है।
यहां से थोड़ी दूर कचोरी समोसे का काम करने वाले रामनाथ से शहर के अन्य मुद्दों पर बात की गई तो उनकी भी पीड़ा सामने आ गई। बोले, भाई साहब यहां सात दिन में पानी आता है। ऐसे में निजी टैंकरों से काम चलाना पड़ता है। घर और दुकान पर पीने के लिए अलग से पानी मंगाते हैं। सरकार की योजनाओं के बारे में पूछा तो रामनाथ का चेहरा खिल उठा और कहने लगे कि चिरंजीवी योजना अच्छी है। फ्र ी बिजली और अन्य योजनाओं का लाभ मिल रहा है। गांधी तिराहे से दक्षिण की ओर बढ़े तो देखा कि यहां यातायात भी बेतरतीब है। न कोई हेलमेट पहनता है और न ही इन्हें टोकने के लिए कोई यातायात पुलिसकर्मी नजर आता है। जिसकी जैसी मर्जी वैसे ही गाड़ी दौड़ा रहा है। बसों की पार्किंग भी नहीं है, जहां मन करें वहां से यात्रियों को लेकर चलती है। ऐसे में दुर्घटना का अंदेशा भी बना रहता है।
इसके बाद नांगलराजावतान और लालसोट की ओर बढ़े तो यहां सडक़ों के हालात कुछ ठीक थे। बीच में मीणा हाईकोर्ट के नाम से मशहूर जगह पर कुछ बुजुर्ग बतिया रहे थे, मैं उन्हें देखकर रुक गया। शिक्षा और रोजगार के बारे में पूछा तो उनमें से एक 70 वर्षीय बुजुर्ग शंभूलाल कहने लगे कि यहां के बच्चे पढऩे के लिए जयपुर जाते हैं और बाकी लोग भी काम की तलाश में जयपुर की ओर ही रुख करते हैं। सुबह-सुबह यों लगता है मानो दौसा जयपुर की तरफ दौड़ रहा है। अस्पताल की बात आई तो बोले कि अभी अस्पताल में सुविधाएं बढ़ी हैं, लेकिन काफी कुछ होना बाकी है।
Published on:
02 Jul 2023 09:51 am
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