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भगवान राम के वंशजों का दौसा में रहा है शासन, अब ‘प्रजा’ में विशेष उत्साह, कल निकलेगी विशाल शोभायात्रा

दौसा : देवनगरी दौसा में कच्छावा वंश के राजा दूल्हेराय ने ढूंढाड़ राज्य की स्थापना कर ग्यारहवीं शताब्दी में दौसा को प्रथम राजधानी बनाया था और कच्छावा वंश भगवान राम के पुत्र कुश से है। ऐसे में प्राचीनकाल में दौसा में भगवान राम के वंशजों का शासन रहा है।

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दौसा

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Santosh Trivedi

Jan 20, 2024

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दौसा. प्राचीनकालीन रघुनाथजी का मंदिर और सजा दरबार

देवनगरी दौसा में कच्छावा वंश के राजा दूल्हेराय ने ढूंढाड़ राज्य की स्थापना कर ग्यारहवीं शताब्दी में दौसा को प्रथम राजधानी बनाया था और कच्छावा वंश भगवान राम के पुत्र कुश से है। ऐसे में प्राचीनकाल में दौसा में भगवान राम के वंशजों का शासन रहा है और अब 22 जनवरी को अयोध्या में नवनिर्मित भव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है तो भगवान के वंशजों की ‘प्रजा’ दौसावासियों में विशेष उत्साह है।

बीते एक-डेढ़ माह से राम मंदिर को लेकर शहर सहित जिलेभर में पूजित अक्षत वितरण, चित्र व पत्रक वितरण का कार्यक्रम चल रहा है। 22 जनवरी को दिवाली की तरह उत्सव मनाने की तैयारी की गई है। मंदिरों की सजावट शुरू हो गई है। घरों में दीप जलाकर उत्सव मनाया जाएगा। सरकार ने भी आधे दिन का अवकाश घोषित किया है। इस पावन तिथि से एक दिन पूर्व 21 जनवरी को दौसा में विशाल शोभायात्रा भी निकाली जाएगी। इसकी जोर-शोर से तैयारियां की जा रही है।

दौसा के लिए गौरवशाली दिवस

भगवान राम के पुत्र कुश के वंशजों का दौसा में शासन रहा, इसलिए दौसा के लिए अयोध्या में रामलला की स्थापना होना गौरवशाली दिवस है। भगवान राम के पुत्र कुश के वंशज ईशसिंह के पुत्र सोढ़देव एवं पौत्र दूल्हेराय ने विक्रम संवत 1194 में दौसा में कच्छावा राजवंश की नींव रखी। ढूंढाड़ राज्य की स्थापना कर दौसा को प्रथम राजधानी बनाया था। दूल्हेराय के पुत्र काकिल ने आमेर पर शासन किया जो लंबे समय तक ढूंढाड़ राज्य की राजधानी रही। वहीं भाटों ने अपनी वंशावल में कच्छावाहों को सूर्यवंशी मानकर नारायण, ब्रह्म मारिचि, कश्यप, इक्षुक से मिलाया है। नारायण से 220वीं पीढ़ी में राजा नल को रखकर दूल्हेराय तक वंशावली दी है। इसमें नल ढोला, लक्ष्मण, वज्रदामी, मंगलराज, सुमित्र, कदान, देवानिक, ईशसिंह, सोढ़देव, दूल्हेराय आदि हैं। जयपुर राज का राजवंश भी दौसा से होकर गुजरा है।

सुवालाल तिवाड़ी, इतिहासविद्

देवनगरी में आस्था का केन्द्र प्राचीनकालीन रघुनाथजी का मंदिर


मंदिरों व भक्तिभाव के कारण दौसा को देवनगरी के नाम से जाना जाता है और यहां पुराने शहर में स्थित रघुनाथजी का प्राचीनकालीन मंदिर आस्था का केन्द्र है। पुजारी पं. पवन कुमार व पं. कमलेश कुमार ने बताया कि मंदिर में मौजूद शिलालेख में संवत 702 में मंदिर की मरम्मत होना अंकित है। इससे स्पष्ट है कि इससे पूर्व से यह मंदिर स्थापित है। नागर शैली में निर्मित इस प्राचीन मंदिर का अब जीर्णोद्धार करा दिया गया है, जिससे इसका रूप और निखर आया है। पुजारी ने बताया कि प्रतिमा स्थापना को लेकर दो कथा है। पहली कथा के अनुसार चित्तौड़गढ़ में बाढ़ आने पर वहां से छाजले में प्रतिमा रखकर रवाना हुए। पुजारी को स्वप्न में आदेश मिले थे कि जहां छाजला भारी होने लगे वहां प्रतिमा स्थापित कर देना। दौसा किला सागर के ऊपर ऐसी जगह जहां कभी बाढ़ आने की संभावना नहीं थी, वहां छाजला भारी हो गया और प्रतिमाएं स्थापित कर दी गई। दूसरी कथा के अनुसार, दौसा में राज करने वाले भगवान के वंशजों ने राजा के रूप में रघुनाथजी की प्रतिमा स्थापित कराई और राजसी अंदाज में सेवा-पूजा की।


5 दिन विहार पर निकलते हैं राजा राम


मंदिर में राजा के रूप में विराजे रघुनाथजी महाराज बसंत पंचमी के मौके पर पांच दिन विहार पर निकलते हैं। पुजारी के अनुसार राजा राम के दर्शन से कोई वंचित नहीं रहे और वे जनता के बीच जाकर रहते हैं, इसलिए आज तक इस परम्परा को निभाया जाता है। माघ सुदी प्रतिपदा को रथ में सवार होकर ठाकुरजी निकलते हैं और छठ को वापस लौटते हैं। सेवक आशीष चौधरी ने बताया कि 22 जनवरी को मंदिर में छप्पन भोग झांकी और लवाजमा यात्रा, पौषबड़ा दोना प्रसादी, अयोध्या से लाइव प्रसारण तथा शाम को दीपदान व हनुमान चालीसा पाठ का आयोजन होगा।

इनकी भी महिमा निराली


देवनगरी दौसा में पुराने अनाज बाजार गांधी चौक स्थित जानकीनाथ मंदिर, बड़ी रामशाला झालरा का बास, छोटी रामशाला दौसा खुर्द भी प्राचीनकालीन मंदिर हैं। वहीं गुप्तेश्वर रोड पर स्थित राम मंदिर भी आस्था का केन्द्र बन गया है। इनके अलावा अन्य कई मंदिरों में भी राम दरबार की प्रतिमाएं स्थापित हैं।


शोभायात्रा: भगवान की 496 सजीव झांकियां होंगी आकर्षण का केन्द्र


श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा आनंदोत्सव समिति की ओर से 21 जनवरी को दौसा में सोमनाथ मंदिर से बारादगी मंदिर तक भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। इसकी जोर-शोर से तैयारियां हो रही है। पूरी दौसानगरी को केसरिया पताकाओं और तोरणद्वार से सजाया जा रहा है। आयोजनकर्ताओं के अनुसार 496 वर्षों के संघर्ष के बाद यह ऐतिहासिक दिन आ रहा है, इसलिए यात्रा में भगवान राम की 496 सजीव झांकी होगी। इसके अलावा राम दरबार की झांकी, घोड़े, डीजे, आतिशबाजी आदि होगी। जगह-जगह पुष्पवर्षा से स्वागत होगा। 5100 कलश व 5100 ध्वज लेकर श्रद्धालु चलेंगे। इनकी संख्या अभी बढ़ भी सकती है। समापन पर धर्मसभा, सामूहिक हनुमान चालीसा व प्रसाद वितरण होगा।

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