scriptVideo: विदेशी ब्रीड्स के डाग्स को मात दे रहा गलियों का ‘ठेंगा’, उत्तराखंड पुलिस स्क्वायड में बनाई जगह | Watch Video: Street Dog Thenga Selected In Uttarakhand Police Squad | Patrika News

Video: विदेशी ब्रीड्स के डाग्स को मात दे रहा गलियों का ‘ठेंगा’, उत्तराखंड पुलिस स्क्वायड में बनाई जगह

locationदेहरादूनPublished: Jan 01, 2020 09:34:41 pm

Submitted by:

Prateek

Watch Video: उत्तराखंड पुलिस (Uttarakhand Police) ने किया (Uttarakhand SDRF) नया (Uttarakhand News) प्रयोग (SDRF), स्ट्रीट (Uttarakhand Police Dog Squad Mamber Thenga) डॉग ठेंगा के (Uttarakhand Police Squad) हुनर (Dog Squad Stunt Video) को (Dogs Stunt Video) निखारा (Stunt Video)…
 

Video: विदेशी ब्रीड्स के डाग्स को मात दे रहा गलियों का 'ठेंगा', उत्तराखंड पुलिस स्क्वायड में बनाई जगह

Video: विदेशी ब्रीड्स के डाग्स को मात दे रहा गलियों का ‘ठेंगा’, उत्तराखंड पुलिस स्क्वायड में बनाई जगह

(देहरादून): वो आवारा जिससे सबने किनारा किया, तराशा गया तो हीरे सा चमक उठा। यह पंक्तियां उत्तराखंड पुलिस के डॉग दस्ते में शामिल फुर्तीले और गजब की सुंघने की शक्ति वाले स्ट्रीट डॉग ठेंगा पर पुरी तरह चरितार्थ होती है। जिसने सडक़ों में कूड़े के ढेरों से उठकर राज्य स्थापना दिवस में मुख्य अतिथि के स्वागत तक का सफर तय किया। अल्प प्रशिक्षण में साक्ष्य को सूंघकर अपराधियों तक पहुंचने के कौशल को देखकर श्वान विशेषज्ञ भी दंग है।

 

यह भी पढ़ें

CAA Protest ने तोड़ी पर्यटन की कमर, उत्तराखंड आने से बच रहे दहशतजदा सैलानी

दरअसल 2019 में उत्तराखंड पुलिस ने एक नया प्रयोग किया। इसके तहत ठेंगा जो कि शहर गलियों में घूमता था उसे विशेष प्रशिक्षण देने की योजना बनाई गई। अब तक पुलिस के डॉग स्क्वायड टीम में जर्मन शैपर्ड, लैबरा, गोल्डन रिटीवर जैसे विदेशी नस्ल के स्वानों को रखा जाता था। जिनकी खरीद पर लाखों का खर्च आता था। इनकी ट्रेनिंग से लेकर रखरखाव में भी पुलिस को सालाना लाखों खर्च करने पड़ते थे। लेकिन पुलिस अफसरों की नजर ठेंगा पर पड़ी जो पैदा जरूर गली में हुआ पर वह स्क्वायड में जगह बनाने की काबिलियत रखता है।

https://twitter.com/hashtag/UttarakhandPolice?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw

आमतौर में स्निफर डॉग की ट्रेनिंग आईटीबीपी ट्रेनिंग सेंटर में होती है। परन्तु ठेंगा को देहरादून में निरीक्षक कमलेश पन्त के मार्गदर्शन में कांस्टेबल रामदत्त पाण्डेय द्धारा ट्रेनिंग दी गई। बड़ी तेजी से सीख रहे ठेंगा ने साबित किया कि नस्लों से कुछ नही होता हौसला बुलन्द होना चाहिए, जबरदस्त फुर्तीला 08 महीने का ठेंगा पुलिस परिवार में शामिल होने वाला प्रथम स्ट्रीट डॉग है। उत्तरखंड एडीआरएफ जल्द ही इसे अपने दस्ते में शामिल कर सकता है।

 

https://twitter.com/hashtag/UttarakhandPolice?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw

यह भी पढ़ें

बर्फबारी से प्रधानमंत्री के बड़े ड्रीम प्रोजेक्ट को झटका

ठेंगा नाम रखने की पीछे की वजह

ठेंगा नाम एसडीआरएफ महानिरीक्षक संजय गुंज्याल की ओर से रखा गया। इसके पीछे की वजह बताते हुए उन्होंने बताया कि एक पौराणिक घटना को आधार बनाते हुए यह नाम रखा गया। ठेंगा उस कटे हुए एकलव्य के हांडमांस के अंगूठे का प्रतीक भर है। एकलव्य जिसके लिए कोई बोलने वाला ना था, उसे प्रशिक्षण के योग्य तक भी ना तब समझा गया। इसी तरह विदेशी श्वानों के सामने ठेंगे जैसे स्ट्रीट डॉग्स को दुत्कार के अलावा कुछ नहीं मिलता। लेकिन एकलव्य के कटे अंगूठे ने प्रतिभा की जगह वंश को महत्ता देने वाली पुरा सोच को ठेंगा दिखाया। इसी तरह ठेंगा भी विदेशी नस्ल के श्वानों को मात देते हुए पुलिस परिवार के सम्मानित सदस्य बनने की जद्दोजहद में देहरादून में प्रक्षिणाधीन है। इस प्रशिक्षण से स्थानीय गली के देसी नस्ल के ठेंगा की सूंघने की शक्ति को यकीनन एक दिशा और दशा मिली है।

ट्रेंडिंग वीडियो